यमुनोत्री धाम के कपाट हुए बंद, यमुना डोली का खरशाली के लिए प्रस्थान

उत्तरकाशी : उत्तराखण्ड के चारधाम के पहले तीर्थधाम यमुनोत्री के कपाट भैयादूज के पावन पर्व पर आज विधिविधान और वैदिक मंत्र उच्चारण के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इसके बाद मां यमुना डोली उनके शीतकालीन प्रवास खरशाली गांव के लिए रवाना हाे गई।

 

 

 

गुरुवार सुबह परंपरागत तरीके से खरशाली गांव से मां यमुना के भाई शनिदेव महाराज की डोली अपनी बहन को लेने यमुनोत्री धाम पहुंची। तीर्थ पुरोहितों ने वैदिक मंत्र उच्चारण के साथ मां यमुना का श्रृंगार पूजा -अर्चना की और प्रदेश और देश की खुशहाली के लिए प्रार्थना भी की। इसके बाद शुभ लग्न 12 बजकर 30 मिनट पर यमुनाेत्री धाम के कपाट बंद कर दिए।

 

तत्पश्चात मां यमुनाजी की डोली स्थानीय वाद यंत्रों के साथ अपने मायके और शीतकालीन प्रवास खरशाली गांव के लिए रवाना हुई। खरशाली गांव के ग्रामीण अपनी बेटी मां यमुना का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं । अब अगले छह महीने तक मां यमुना के दर्शन उनके शीतकालीन प्रवास खरशाली गांव में ही होंगे।

 

इस मौके पर यमुनोत्री मंदिर समिति के प्रवक्ता पुरुषोत्तम उनियाल, सचिव सुनील उनियाल, कोषाध्यक्ष प्रदीप उनियाल , सुरेश उनियाल, गिरीश उनियाल,भागीरथी घाटी प्रधिकरण के उपाध्यक्ष राम सुन्दर नौटियाल, क्षेत्रीय विधायक, थानाध्यक्ष बड़कोट दीपक कठैत,

 

राजस्व कर्मचारी और महावीर पंवार आदि मौजूद थे।

 

सदियों से विशिष्ट परंपरा के वाहक बने हैं खरशाली के वासी

 

उत्तरकाशी जिले में स्थित यमुनोत्री धाम अनेक धार्मिक परंपराओं और मान्याताओं को स्वयं में समेटे हुए है। सूर्यपुत्री यमुना शनिदेव की बहन है। खरसाली गांव में समेश्वर देवता के रूप में पूजे जाने वाले शनिदेव की डोली हर साल कपाट खुलने और बंद होने पर बहन की डोली के साथ जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन स्वयं यमराज और शनिदेव अपनी बहन मां यमुना से मिलने यमुनोत्री धाम पहुंचते हैं। खरसाली के ग्रामीण सदियों से इस विशिष्ट परंपरा के वाहक बने हुए हैं। वहीं इस कारण इस पर्व का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है।

 

 

 

पुराणों के अनुसार भैया दूज के दिन यमराज और शनिदेव जब अपनी बहन यमुना से मिलने आए थे, तब मां यमुना ने दोनों भाइयों से यह वरदान मांगा कि जो भी श्रद्धालु इस दिन यमुनोत्री धाम में आकर उनके पवित्र जल में स्नान करेगा, जल का पान करेगा या पूजन-अर्चना करेगा, उसे यम यातनाओं से मुक्ति मिलेगी। उसे शनि की साढ़ेसाती के कष्टों से राहत और भगवान श्रीकृष्ण व हनुमान की विशेष कृपा प्राप्त होगी। इसी पौराणिक विश्वास के चलते हर वर्ष भैया दूज पर यमुनोत्री धाम में हजारों की संख्या में तीर्थयात्री पहुंचते हैं।

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