खरीफ फसलों के लिए पर्याप्त यूरिया : उर्वरक विभाग

नई दिल्ली : उर्वरक विभागने सोमवार को कहा कि खरीफ फसलों के दौरान किसानों के लिए यूरिया की पर्याप्त उपलब्धता सरकार द्वारा समय पर योजना और समन्वय के माध्यम से सुनिश्चित की गई है। उर्वरक विभाग ने समय रहते योजना बनाकर और भारतीय रेल, बंदरगाहों, राज्य सरकारों व उर्वरक कंपनियों के साथ तालमेल कर देशभर में यूरिया की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की।

 

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा आकलित 185.39 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) की अनुमानित मांग के मुकाबले, उर्वरक विभाग ने 230.53 एलएमटी उपलब्ध कराई, जबकि बिक्री मात्र 193.20 एलएमटी रही। इससे यह स्पष्ट होता है कि देश में यूरिया की पर्याप्त उपलब्धता रही।

 

उर्वरक विभाग ने सोमवार को विज्ञप्ति जारी कर बताया कि पिछले वर्ष की तुलना में खरीफ 2025 के दौरान किसानों ने लगभग 4.08 लाख मीट्रिक टन अधिक यूरिया का उपयोग किया, जो बेहतर वर्षा और बढ़े हुए खेती क्षेत्र का परिणाम है।

 

घरेलू उत्पादन और खपत के बीच अंतर को पाटने के लिए सरकार ने आयात बढ़ाने पर विशेष जोर दिया। अप्रैल से अक्टूबर 2025 के बीच भारत ने 58.62 लाख मीट्रिक टन कृषि ग्रेड यूरिया का आयात किया, जो पिछले वर्ष की समान अवधि (24.76 लाख मीट्रिक टन) की तुलना में दोगुना से अधिक है। इससे खरीफ 2025 की मांग पूरी होने के साथ-साथ रबी 2025-26 के लिए पर्याप्त बफर स्टॉक भी तैयार हुआ। 1 अक्टूबर 2025 को देश में 48.64 लाख मीट्रिक टन का स्टॉक था जो 31 अक्टूबर तक बढ़कर 68.85 लाख मीट्रिक टन हो गया।

 

जुलाई से अक्टूबर 2025 के बीच राज्यों को यूरिया की आपूर्ति (रेक मूवमेंट) भी अब तक के उच्चतम स्तर पर रही।

 

घरेलू उत्पादन में भी वृद्धि दर्ज की गई है। अक्टूबर 2025 में 26.88 लाख मीट्रिक टन उत्पादन हुआ, जो पिछले वर्ष से 1.05 लाख मीट्रिक टन अधिक है। अप्रैल से अक्टूबर के बीच औसत मासिक उत्पादन लगभग 25 लाख मीट्रिक टन रहा। नवंबर और दिसंबर के लिए 17.5 लाख मीट्रिक टन आयात पहले ही तय किया जा चुका है।

 

देश में उत्पादन क्षमता बढ़ाने के प्रयास जारी हैं। असम के नमरूप और ओडिशा के तालचर में प्रत्येक 12.7 लाख मीट्रिक टन वार्षिक क्षमता वाले दो नए यूरिया संयंत्र निर्माणाधीन हैं।

 

विभाग ने बताया कि उत्पादन बढ़ाने के कई प्रस्ताव विचाराधीन हैं, जिनके पूरा होने से भारत की आयात निर्भरता घटेगी और यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भरता (आत्मनिर्भर भारत) प्राप्त होगी।

 

राज्यों के कृषि विभागों को वितरण प्रणाली में दक्षता बढ़ाने और यूरिया के दुरुपयोग, तस्करी, जमाखोरी व काला बाजार पर सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। कई राज्यों ने पारदर्शिता और निगरानी के लिए नवाचारपूर्ण डिजिटल उपकरण लागू करना शुरू कर दिया है।

 

संपूर्ण अग्रिम योजना, कुशल लॉजिस्टिक्स और ठोस समन्वय के माध्यम से भारत सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि प्रत्येक किसान को समय पर यूरिया उपलब्ध हो, जो देश की कृषि वृद्धि और खाद्य सुरक्षा के लिए

अत्यंत आवश्यक है।

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