मप्र के मंदसौर में नकली नोटों के अंतरराज्यीय गिरोह का भंडाफोड़, यू-ट्यूब से सीखा बनाना

भोपाल : मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले की पुलिस ने नकली नोटों के एक बड़े अंतरराज्यीय नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने इस गिरोह के मास्टरमाइंड गुरजीत सिंह उर्फ गुरिंदरजीत सिंह (निवासी पटियाला, पंजाब) को गिरफ्तार कर उसके पूरे नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया। कार्रवाई के दौरान पुलिस ने लाखों रुपये के नकली नोट, प्रिंटर, कंप्यूटर, चमकीली पन्नियां, कटर और अन्य उपकरण बरामद किए हैं। यह गिरोह मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में नकली नोटों की सप्लाई करता था।

 

काका टी स्टॉल से शुरू हुई कहानी

 

दरअसल, मामला 27 अक्टूबर 2025 का है, जब वायडीनगर थाना क्षेत्र की मुल्तानपुरा चौकी पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि दाऊतखेड़ी रोड स्थित ‘काका टी स्टॉल’ पर कुछ लोग नकली नोटों का लेन-देन कर रहे हैं। पुलिस ने तत्काल छापा मारकर निसार हुसैन पटेल, रियाज नियारगर और दीपक गर्ग को गिरफ्तार किया। इनके पास से 38,000 रुपये मूल्य के 76 नकली नोट बरामद किए गए। शुरुआती पूछताछ में ही पुलिस को पता चला कि नकली नोटों का यह जाल स्थानीय नहीं, बल्कि एक अंतरराज्यीय नेटवर्क से जुड़ा हुआ है। इसके बाद पुलिस ने साइबर सेल और तकनीकी टीम की मदद से हरियाणा तक अपनी जांच का दायरा बढ़ाया और बीते सोमवार पूरे मामले का पर्दाफाश किया।

 

हरियाणा में दबिश, फिर पंजाब से जुड़ी कड़ी

 

मंदसौर पुलिस की टीम ने हरियाणा के अंबाला में दबिश देकर संदीप सिंह बसैती और प्रिंस अहलावत को पकड़ा। इनके कब्जे से 6,000 रुपये के नकली नोट जब्त किए गए। पूछताछ में खुलासा हुआ कि इन दोनों को नोट पंजाब के एक शख्स से मिलते थे, वही इस पूरे नेटवर्क का सरगना था। इसी सुराग के आधार पर पुलिस टीम पंजाब के सनौर (जिला पटियाला) पहुंची और वहां से 36 वर्षीय गुरजीत सिंह उर्फ गुरिंदरजीत सिंह को गिरफ्तार किया। उसके घर पर बने छोटे से कारखाने में नकली नोट बनाने की पूरी व्यवस्था थी। पुलिस ने वहां से 3,66,000 रुपये के नकली नोट, कंप्यूटर, कलर प्रिंटर, चमकीली हरी पन्नियां और कटिंग उपकरण जब्त किए।

 

यू-ट्यूब बना अपराध की पाठशाला

 

पुलिस पूछताछ में गुरजीत ने बताया कि उसने नकली नोट बनाने की पूरी तकनीक यू-ट्यूब वीडियो देखकर सीखी । वह असली नोटों की स्कैनिंग कर फोटोशॉप सॉफ्टवेयर में उनकी डिजाइन तैयार करता और कलर प्रिंटर से प्रिंट निकालता था। इसके बाद नोटों पर चमकीली हरी पन्नी चिपकाकर उन्हें असली जैसा रूप देता था। आरोपी इन फर्जी नोटों को आधी कीमत में तस्करों को बेच देता था, जो फिर इन्हें अलग-अलग राज्यों में बाजारों और हाट-बाजारों में चलाते थे। पुलिस का अनुमान है कि इस गिरोह ने अब तक लाखों रुपए के नकली नोट बाजार में उतारे हैं।

 

इस मामले में मंदसौर एसपी ने कहा कि पुलिस टीम ने साइबर सेल और तकनीकी साक्ष्यों के आधार पर सावधानीपूर्वक जांच करते हुए इस पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। उन्होंने बताया कि आरोपियों से पूछताछ में कई राज्यों में सक्रिय एजेंटों और सप्लाई चैन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिली है। एसपी ने यह भी कहा कि इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। मामले की जांच अभी जारी है।

 

अब तक छह गिरफ्तार

 

अब तक पुलिस ने छह आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिनमें रियाज खां (पिपलियामंडी, मंदसौर), निसार हुसैन पटेल (बोतलगंज, मंदसौर), दीपक गर्ग (भीलवाड़ा, राजस्थान), संदीप सिंह बसैती (कुरुक्षेत्र, हरियाणा), प्रिंस अहलावत (कुरुक्षेत्र, हरियाणा) और गुरजीत सिंह उर्फ गुरिंदरजीत सिंह (पटियाला, पंजाब) के नाम शामिल हैं। पुलिस ने अब तक कुल 4 लाख मूल्य के नकली नोट, 3 लाख मूल्य के मोबाइल फोन, 10 लाख की ह्युंडई वरना कार, तथा करीब एक लाख रुपये कीमत के डिजिटल उपकरण जब्त किए हैं। जब्त की गई वस्तुओं की कुल कीमत लगभग रुपए 18 लाख रुपये आंकी गई है।

 

पुराना आपराधिक रिकॉर्ड

 

पुलिस के अनुसार, गिरोह के मास्टरमाइंड गुरजीत सिंह के खिलाफ पहले भी थाना छपार (हरियाणा) में केस दर्ज हैं। इसी तरह संदीप सिंह और प्रिंस अहलावत के खिलाफ थाना छछरौली (हरियाणा) में अपराध पंजीबद्ध हैं। मंदसौर पुलिस ने बताया कि पूछताछ में अन्य राज्यों में सक्रिय एजेंटों और सप्लाई चैन के बारे में भी अहम जानकारी मिली है। आगे की जांच जारी है। मंदसौर की यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब देश के कई हिस्सों में नकली नोटों के नेटवर्क का खुलासा हो रहा है। इसी एक सप्‍ताह में मप्र के खंडवा जिले के पैठियां गांव के मदरसे में इमाम जुबेर अंसारी के कमरे से करीब 20 लाख रुपये के नकली नोट बरामद हुए हैं। बैग में 500-500 रुपये के नोट के बंडल थे। पुलिस ने नोटों की गिनती की तो 19 लाख 78 हजार रुपये के नकली नोट थे। राज्‍य में खंडवा के बाद ये दूसरा नकली नोट से जुड़ा बड़ा मामला प्रकाश में आया है।

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