‘ब्लू इकॉनॉमी’ भारत-मॉरीशस के सतत विकास का नया मार्ग: डॉ. जितेंद्र सिंह

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नई दिल्ली : केंद्रीय कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत और मॉरीशस के बीच ब्लू इकॉनॉमी यानी महासागर आधारित अर्थव्यवस्था दोनों देशों के सतत विकास और साझा समृद्धि का नया आधार बन सकती है। मत्स्य पालन, महासागर तकनीक और जल लवण हटाने (डिसैलिनेशन) जैसे क्षेत्र भारत–मॉरीशस साझेदारी के नए मोर्चे हैं, जो दोनों समुद्री देशों के लिए आर्थिक वृद्धि और पर्यावरणीय संतुलन को मजबूत करेंगे।

 

डॉ. जितेंद्र सिंह ने नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय सुशासन केंद्र (एनसीजीडीजी) में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे मॉरीशस के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों को संबोधित किया। यह दल 10 से 15 नवंबर तक आयोजित दूसरे क्षमता निर्माण कार्यक्रम में भाग ले रहा है। मार्च 2025 में हुए दीर्घकालिक सहयोग समझौते के तहत भारत अगले पांच वर्षों में मॉरीशस के 500 अधिकारियों को प्रशिक्षित करेगा। वर्तमान दल में 14 मंत्रालयों के 17 वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं, जिनका नेतृत्व डॉ. धनंजय कावोल, सीनियर चीफ एक्जीक्यूटिव,मॉरीशस सार्वजनिक सेवा और प्रशासनिक सुधार मंत्रालय कर रहे हैं।

 

जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत का अनुभव समुद्री संसाधन प्रबंधन और महासागर तकनीक के क्षेत्र में मॉरीशस की विकास यात्रा में अहम भूमिका निभा सकता है। भारत ने‘डीप ओशन मिशन’ और लक्षद्वीप में डिसैलिनेशन तकनीक के माध्यम से समुद्री जल को पीने योग्य बनाकर जल संकट का समाधान किया है। उन्होंने कहा कि पानी चारों ओर है, पर पीने योग्य नहीं- यह विरोधाभास तकनीक से दूर किया जा सकता है। भारत के डिसैलिनेशन संयंत्र खारे पानी को मीठा बनाते हुए हरित ऊर्जा भी उत्पन्न कर रहे हैं।

 

डॉ. जितेंद्र सिंह ने मॉरीशस के अधिकारियों से ब्लू इकॉनॉमी और समुद्री अनुसंधान में संयुक्त परियोजनाएं विकसित करने का आह्वान किया और सुझाव दिया कि दोनों देश मिलकर महासागर अर्थव्यवस्था के लिए 10 वर्षीय खाका तैयार कर सकते हैं। मॉरीशस प्रतिनिधियों ने भारत द्वारा इन्फ्रास्ट्रक्चर, नवीकरणीय ऊर्जा, डिजिटल प्रशासन और फोरेंसिक साइंस में दिए गए सहयोग की सराहना की।

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