मप्र के बालाघाट में मुख्यमंत्री के समक्ष 2.36 करोड़ के इनामी 10 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण

नक्सलवाद के उन्मूलन की दिशा में मध्य प्रदेश की बड़ी सफलताः मुख्यमंत्रीबालाघाट : मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में नक्सल इतिहास में पहली बार 10 नक्सलियों ने एक साथ आत्मसर्पण कर दिया । उन्होंने रविवार को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के सामने अपने हथियार सौंपकर आत्मसमर्पण किया। इसमें 62 लाख रुपये का इनामी हार्डकोर नक्सली सुरेंद्र उर्फ कबीर भी शामिल है। सभी 10 नक्सलियों पर मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में कुल 2 करोड़ 36 लाख रुपये का इनाम घोषित था। इनमें चार महिला और छह पुरुष नक्सली शामिल हैं।

 

इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि बालाघाट में “पुनर्वास से पुनर्जीवन” कार्यक्रम के तहत चार महिलाओं सहित 10 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। यह सुशासन की शक्ति, कानून व्यवस्था की दृढ़ता और विकास में विश्वास का सुफल है। नक्सलवाद-मुक्त मध्य प्रदेश के संकल्प की दिशा में यह अत्यंत महत्वपूर्ण सफलता है। प्रदेश सरकार की नक्सल पुनर्वास नीति से प्रदेश में शांति, भरोसा और मुख्यधारा से जुड़ने का मार्ग प्रशस्त हुआ है।

 

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सशक्त नेतृत्व एवं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में मध्य प्रदेश ‘नक्सल-मुक्त प्रदेश’ बनने की दिशा में निरंतर कदम बढ़ा रहा है। इस दिशा में सुरक्षा बलों के प्रयास प्रशंसनीय हैं। उन्होंने यह भी बताया कि आत्मसमर्पित नक्सलियों का पुनर्वास किया जाएगा और उन्हें समाज की मुख्यधारा में शामिल किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि नक्सलियों को हथियार उठाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने कहा कि बालाघाट जोन में इस साल अब तक 10 हार्डकोर नक्सली मारे जा चुके हैं।

 

आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों ने पुलिस को दो एके-47, दो इंसास रायफल, एक एसएलआर, दो एसएसआर, सात बीजीएल सेल और चार वॉकी-टॉकी सौंपे। इस कार्रवाई के पीछे प्रदेश की नक्सल आत्मसमर्पण नीति और सुरक्षा बलों के लगातार अभियान का असर माना जा रहा है।

 

दरअसल, वनकर्मी गुलाब उईके और स्थानीय ग्रामीणों ने आत्मसमर्पण की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाई। वनकर्मी उईके ने बताया कि नक्सलियों ने खुद संपर्क किया और वाहन के माध्यम से बालाघाट लाए गए। ग्रामीणों का सहयोग न मिलने से नक्सलियों ने आत्मसमर्पण को प्राथमिकता दी। जंगलों में बढ़ते सुरक्षाबलों के दबाव के कारण नक्सलियों ने हिंसा छोड़कर बातचीत और सरेंडर का निर्णय लिया। यह घटनाक्रम लांजी के छत्तीसगढ़ सीमा से लगे माहिरखुदरा में हुई मुठभेड़ के बाद शनिवार देर रात हुआ।

 

गौरतलब है कि बालाघाट में हार्डकोर महिला नक्सली सुनीता ने 1 नवंबर को चौरिया में बन रहे हॉकफोर्स के कैंप में आत्मसमर्पण किया था। इसके बाद पुलिस और सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ा है। इस घटना ने अन्य नक्सलियों के मुख्यधारा में लौटने की उम्मीद जगाई। इसके मद्देनजर मंडला पुलिस ने नक्सल प्रभावित इलाकों में जनजागरण अभियान तेज कर दिया है।_____________

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