झांसी : चार गाैशालाओं को आदर्श बनाने के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर झांसी नगर निगम की अनूठी पहल लोगों का ध्यान खींच रही है।
झांसी नगर निगम के बिजौली में स्थित कान्हा उपवन गौवंश आश्रय स्थल झांसी को लगभग एक वर्ष पूर्व गौ पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया गया है। इस अवधि में इसको लेकर लोगों में रुझान बढ़ा है और यहां विद्यार्थियों की आवाजाही खासतौर पर देखने को मिलती है। गौ पर्यटन केंद्र में बना गौ परिक्रमा पथ स्कूली विद्यार्थियों और आगंतुकों के सामने गौवंश आधारित प्राचीन भारतीय सामाजिक और कृषि व्यवस्था से जुड़े उदाहरण जीवंत रूप में प्रस्तुत करता है।
गौ परिक्रमा पथ पर स्थानीय नस्ल की गाैवंशों के अलावा गिर, साहीवाल और हरियाणा नस्ल के गोवंश भी हैं। गाैवंश की नस्लों की विशेषता बताने के लिए यहां साइनेज लगे हैं। इस कान्हा उपवन में 800 से अधिक निराश्रित गौवंश संरक्षित किये गए हैं। यहां निराश्रित गौवंशों के संरक्षण और नस्ल सुधार का काम किया जाता है। गाैवंश के गोबर से बनने वाले गौकाष्ठ समेत कई अन्य अभिनव प्रयोगों को भी यहां आकर लोग देख सकते हैं। नई पहल करते हुए नगर निगम ने गाैवंश संरक्षण के प्रति जागरूकता का प्रचार करने के मकसद से लगभग एक साल पहले वैदिक काल के गाैवंश आधारित परिवेश को यहां जीवंत रूप में प्रस्तुत किया। यहां आने वाले पर्यटकों और विद्यार्थियों को बैलगाड़ी की सवारी का भी अनुभव कराया जाता है। गौ परिक्रमा पथ पर गाैवंश आधारित कोल्हू, कुएं से पानी निकालने वाला रहट, खेतों में जुताई के लिए बैल का उपयोग आदि कार्यों का प्रदर्शन जीवंत रूप में देखने को मिलता है।
नगर निगम झांसी के पशु कल्याण अधिकारी डॉ राघवेंद्र सिंह बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश हैं कि जो भी गाैशाला हैं, वे एक पर्यटन स्थल बनें और आत्मनिर्भर हों। बिजौली स्थित कान्हा उपवन गाैशाला में गौ परिक्रमा पथ तैयार कर यहां बैलगाड़ी, रहट, कोल्हू आदि चीजें प्रदर्शित की गई हैं। हमारे पूर्वजों ने पुरानी गौवंश आधारित जिस पद्धति को अपना रखा था, उसके बारे में इससे जानकारी मिलती है। विद्यार्थी और पर्यटक इसमें रुचि ले रहे हैं।
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