डीपीआईआईटी ने एआई-कॉपीराइट इंटरफेस पर कार्य-पत्र का पहला भाग प्रकाशित किया

नई दिल्‍ली : उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) ने जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और कॉपीराइट कानून के अंतर्संबंधों की जांच करते हुए अपने कार्य पत्र का पहला भाग प्रकाशित किया है। इस पत्र में डीपीआईआईटी के 28 अप्रैल, 2025 को गठित आठ सदस्यीय समिति (“कमेटी”) की अनुशंसाओं को शामिल किया गया है।

 

वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय ने मंगलवार को जारी एक बयान में बताया कि कृत्रिम मेधा (एआई) डेवलपर को एआई प्रणालियां तैयार करने के लिए कानूनी रूप से उपलब्ध सभी कॉपीराइट-संरक्षित सामग्री का उपयोग करने के लिए अनिवार्य लाइसेंस देने का सुझाव एक सरकारी समिति ने दिया है। इसके साथ ही इस पर संबंधित हितधारकों से प्रतिक्रिया एवं विचार मांगे गए हैं। मंत्रालय के मुताबिक समिति की सिफारिश के अनुसार लाइसेंस के साथ कॉपीराइट धारकों के लिए वैधानिक पारिश्रमिक का अधिकार भी होना चाहिए। ये सुझाव समिति द्वारा तैयार किए गए कार्य पत्र का हिस्सा हैं, जिसे उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) द्वारा हितधारकों के विचार जानने के लिए जारी किया गया है।

 

वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय ने मुताबिक एआई प्रणालियों और कॉपीराइट से संबंधित उभरते मुद्दों पर विचार-विमर्श की बढ़ती आवश्यकता को स्वीकार करते हुए डीपीआईआईटी ने 28 अप्रैल, 2025 को एक समिति का गठन किया था। आठ सदस्यीय इस समिति की अध्यक्षता अतिरिक्त सचिव हिमानी पांडे ने की। इसमें कानूनी विशेषज्ञ, उद्योग और शिक्षा जगत के प्रतिनिधि भी शामिल हैं। इसे समिति को एआई प्रणालियों द्वारा उठाए गए मुद्दों की पहचान करने, मौजूदा नियामक ढांचे की जांच करने, इसकी पर्याप्तता का आकलन करने और यदि आवश्यक हो तो बदलावों की सिफारिश करने के अलावा हितधारकों के साथ परामर्श के लिए एक कार्य पत्र तैयार करने का कार्य सौंपा गया था। इस समिति ने कार्य पत्र (भाग-1) तैयार किया है, जिसे डीपीआईआईटी द्वारा आठ दिसंबर को सार्वजनिक रूप से जारी किया गया। इसने 30 दिन के भीतर सभी संबंधित हितधारकों से प्रतिक्रिया और विचार मांगे हैं।

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