नेपालः बयान के लिए उपस्थित नहीं होने पर पूर्व प्रधानमंत्री ओली और पूर्व गृहमंत्री लेखक की गिरफ्तारी की तैयारी

काठमांडू : जेन जी आंदोलन के दौरान हुए अत्यधिक पुलिस बल प्रयोग की जांच के लिए गठित न्यायिक आयोग तत्कालीन प्रधानमन्त्री केपी शर्मा ओली और तत्कालीन गृहमन्त्री रमेश लेखक के बयान के लिए उपस्थित न होने की स्थिति देखते हुए उन्हें गिरफ्तार कर पेश कराने की तैयारी में है।

 

इस आयोग की अवधि केवल दो सप्ताह शेष रहते हुए आयोग की तरफ से अब तक बयान का काम पूरा नहीं हो पाया है। फील्ड में तैनात सुरक्षा कर्मियों और प्रशासनिक अधिकारियों के बयान लेने के बाद अब आयोग राजनीतिक स्तर के बयान लेने की प्रक्रिया में है।

 

आयोग के प्रवक्ता विज्ञानराज शर्मा के अनुसार लगभग डेढ़ सौ लोगों से बयान लेने का काम पूरा हो चुका है। अब पूर्व प्रधानमन्त्री ओली, पूर्व गृहमन्त्री लेखक, तत्कालीन गृह सचिव गोकर्णमणि दुवाडी, तत्कालीन प्रधानसेनापति अशोकराज सिग्देल और नेपाल पुलिस प्रमुख आईजीपी दानबहादुर कार्की का बयान लेना बाकी है।

 

आयोग की सिफारिश के आधार पर पूर्व प्रधानमंत्री ओली और पूर्व गृहमंत्री लेखक की विदेश यात्रा और बिना अनुमति काठमांडू से बाहर जाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। ओली की तरफ से आयोग को असंवैधानिक बताते हुए बयान न देने की घोषणा पहले ही की जा चुकी है।

 

प्रवक्ता शर्मा का कहना है कि बयान लेने में किसी प्रकार की शंका नहीं होनी चाहिए। यदि नहीं आए, तो कानूनी प्रक्रिया शुरू होगी। आयोग सरकार को कानूनी रूप से उन्हें पेश कराने का अनुरोध करेगा।

 

गृहमन्त्री ओमप्रकाश अर्याल ने स्पष्ट किया है कि यदि आयोग लिखित अनुरोध करता है तो सरकार पुलिस भेज कर उन्हें उपस्थित कराएगी। गृहमंत्री ने कहा “कानून सबके लिए समान है। उम्मीद है कि वे मानेंगे; न मानने पर कानून लागू किया जाएगा।”

 

जांच आयोग के प्रवक्ता शर्मा के अनुसार बयान लेना अनिवार्य होने के कारण ही उनकी विदेश यात्रा पर प्रतिबंध लगाया गया है। प्रक्रियागत रूप से जल्द से जल्द बयान लेने का निर्णय आयोग कर चुका है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रमुख सचिव, संसद महासचिव और सुरक्षा निकायों के प्रमुख तक आयोग में आकर बयान दे चुके हैं।

 

इधर, एमाले उपमहासचिव प्रदीप ज्ञवाली ने कहा कि “आयोग स्वयं अमान्य है इसलिए पूर्व प्रधानमन्त्री ओली के बयान के लिए उसके समक्ष जाने का प्रश्न ही नहीं उठता। हम पहले ही इसकी निष्पक्षता पर गंभीर प्रश्न उठा चुके हैं और इसे अस्वीकार्य घोषित किया है।”

 

आयोग ने मंगलवार को सशस्त्र प्रहरी महानिरीक्षक राजु अर्याल का बयान लिया। उन्हें आवश्यकता होने पर फिर बुलाया जाएगा। इससे पहले पूर्व पुलिस प्रमुख चन्द्रकुबेर खापुंग को भी पुनः बुलाए जाने की संभावना आयोग ने जताई थी।

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