मोदी पर पड़ रही भारी नोटबंदी से पैदा बेरोजगारी

बजट में केन्द्र सरकार कर सकती कोई बड़ी घोषणा

नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार अपने ही किये धरे में फंस गयी है। नोटबंदी का फैसला जी का जंजाल बन गया है। हालांकि मोदी सरकार इसे कालेधन के खिलाफ बड़ा फैसला बताती आ रही है लेकिन इस एक फैसले की वजह से देश में बेरोजगार की जबर्दस्त समस्या उत्पन्न हो गयी है। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2017-18 में बेरोजगारी दर पिछले 45 सालों में सबसे अधिक है। नेशनल सैम्पल सर्वे ऑफिस की रिपोर्ट के मुताबिक 2017-18 में बेरोजगारी दर 6.1 प्रतिशत रही जो 1972-73 के बाद सबसे अधिक है। रिपोर्ट के मुताबिक महानगरों और छोटे शहरों में बेरोजगारी की समस्या ज्यादा गंभीर है। ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति इससे बेहतर है। शहरी क्षेत्रों में बेरोजगारी दर 7.8 प्रतिशत तक है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 5.3 प्रतिशत है।

हालांकि इन सबके बीच देश की अर्थव्यवस्था बहुत तेजी से विकास कर रही है। इसकी रफ्तार विश्व के अन्य देशों की तुलना में अधिक तेज है। इसके बावजूद जितने रोजगार की जरूरत है, उस अनुपात में रोजगार पैदा नहीं हो रहे हैं। सकल घरेलू उत्पाद की दर (जीडीपी) बेहतर इसलिए है क्योंकि निवेश से व्यापार तो बढ़ रहा है लेकिन, रोजगार पैदा नहीं हो रहे हैं। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार एक फरवरी को अपना अनूपूरक बजट पेश करेगी। मोदी सरकार इस बजट के माध्यम से कुछ लोक लुभावने वादे कर सकती है। वर्तमान में जो सबसे बड़ी समस्या सरकार के सम्मुख है, वह बेरोजगारी है। वर्ष 2019 लोकसभा चुनाव नजदीक आ गया है और बेरोजगारी की समस्या लगातार गंभीर बनती जा रही है।

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