हाईकोर्ट द्वारा नहरपार 19 गांवों की अधिगृहीत जमीन का मुआवजा तो बढ़ा दिया गया है पर किसान अभी आदेश की प्रति का इंतजार कर रहे हैं। उसके बाद आगामी रणनीति तैयार करेंगे। आदेश की प्रति प्राप्त करने के लिए नहरपार ग्रेटर फरीदाबाद किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष शिवदत्त वशिष्ठ और सुधीर चपराना हाईकोर्ट भी गए थे, पर किसी कारणवश वह नहीं मिल सकी।
नौ साल से चल रहा है संघर्ष
किसानों के अनुसार एक तरफ उनकी जमीन जा चुकी है और अब हुडा ने कब्जा भी लेना शुरू कर दिया है, पर उन्हें मुआवजा नहीं मिला है जबकि किसान 9 साल से संघर्ष कर रहे हैं। हमने हाईकोर्ट में अपनी जमीन अधिग्रहण से मुक्त कराने की अपील की थी, जिसे पिछले दिनों खारिज कर दिया गया।
किसानों को पता नहीं किसका कितना बढ़ा मुआवजा
अब हाईकोर्ट ने नहरपार के 19 गांवों का मुआवजा तो बढ़ा दिया है, पर यह पता नहीं कि कहां-किस गांव का कितना मुआवजा बढ़ा है। प्रति मिलने के बाद देखेंगे कि क्या करना है। हम सुप्रीम कोर्ट में अपील भी कर सकते हैं।
-शिवदत्त वशिष्ठ, अध्यक्ष, नहरपार ग्रेटर फरीदाबाद किसान संघर्ष समिति।
आदेश की प्रति का इंतजार
आदेश की प्रति मिलने पर ही पता लगेगा कि कौन से एरिया का कितना अवार्ड है। तीन से चार दिन में आदेश की प्रति मिल जाएगी। इसके बाद किसान बैठक में रणनीति तैयार करेंगे कि क्या करना है।
-परमाल, फज्जुपुर।
उम्मीद बाकी है
नहरपार के किसानों को उम्मीद है कि यह आदेश किसानों की उम्मीद के अनुसार होगा। किसानों को अपनी जमीन के हक की लड़ाई लडते हुए 9 वर्ष बीत गए हैं। हालांकि हुडा द्वारा किसानों को सेशन कोर्ट द्वारा बढ़ा हुआ मुआवजा भी नहीं दिया गया है।
-अनिल भाटी, प्रहलादपुर।
नहीं मिला मुआवजा
हमारी जमीन पर मास्टर रोड बनाई जा रही है। हमने मुआवजा नहीं उठाया है। इसलिए अब हाईकोर्ट के आदेश की प्रति आने के बाद ही पूरा मामला सामने आएगा।
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