पंजाब में सत्ताधारी कांग्रेस के लिए चार विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव को आगामी विधानसभा चुनाव के लिए सेमीफाइनल माने जा रहे हैं। वही प्रदेश कांग्रेस के लिए यह लड़ाई प्रतिष्ठा का सवाल बन गई है। कांग्रेस ने चारों विधानसभा हलकों मुकेरिया दाखा जलालाबाद और फगवाड़ा में अपनी पूरी ताकत झोंक दी है लेकिन पार्टी को अपनी सरकार के मुलाजिमों के गुस्से का कड़ा सामना करना पड़ रहा है। विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने अपनी मांगों को लेकर इन चारों विधानसभा क्षेत्रों में मोर्चा संभाल लिया है और सरकार के खिलाफ रोष मार्च और धरने दिए जा रहे हैं।

चारों हलकों में कांग्रेस प्रत्याशी जहां कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार की उपलब्धियां और सभी प्रमुख वादे पूरे किए जाने का प्रचार कर रहे हैं, वही उनके विपरीत साझा मुलाजिम मंच, जिसके तहत विभिन्न विभागों के 100 से अधिक यूनियन व टीचर एसोसिएशन शामिल है, के अलावा बेरोजगार टीचर एसोसिएशन, राजस्व पटवारी यूनियन ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। यह संगठन चारों हलकों में आम लोगों के बीच जाकर प्रदेश सरकार द्वारा ना पूरे किए गए वादों की फेहरिस्त दिखा रहे हैं। बेरोजगार बीएड अध्यापक यूनियन ने तो इन चारों हलकों में रोजगार नहीं वोट नहीं की मुहिम छेड़ रखी है।
बेरोजगार अध्यापकों ने अपने घरों के बाहर इस मुहिम के पोस्टर भी चिपका रखे हैं। इसका सीधा असर कांग्रेस प्रत्याशियों के प्रचार अभियान पर पड़ रहा है। कांग्रेस के मीडिया सेल की ओर से अपने प्रत्याशियों के पक्ष में सोशल मीडिया पर किए जा रहे प्रचार के दौरान फेसबुक , व्हाट्सएप और ट्विटर पर प्रदेश के युवाओं द्वारा घर घर रोजगार और मुफ्त स्मार्टफोन के वादे याद दिलाए जा रहे हैं। हालांकि वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल की ओर से इस दिवाली पर स्मार्टफोन बांट दिए जाने का एलान किया गया है लेकिन वह यह ऐलान पहले भी दो तीन बार कर चुके हैं।
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