जेएनयू देशद्रोह मामले में दिल्ली सरकार द्वारा मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं देने के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में दायर याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई। पूर्व जेएनयूएसयू अध्यक्ष कन्हैया कुमार के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाने की मंजूरी देने की मांग वाली याचिका पर हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को कानून के तहत कार्रवाई करने निर्देश दिया है। कोर्ट ने पूर्व भाजपा विधायक नंद किशोर गर्ग की याचिका इसी आदेश के साथ निपटारा भी कर दिया है। 
याचिकाकर्ता पूर्व भाजपा विधायक नंद किशोर गर्ग ने आरोप लगाया था कि दिल्ली सरकार जानबूझकर मामले को टाल रही है। बता दें कि 9 फरवरी, 2016 को जेएनयू परिसर में आयोजित हुए प्रदर्शन के दौरान कुछ छात्रों ने संसद भवन पर हमले के दोषी अफजल गुरु के समर्थन और भारत तेरे टुकड़े होंगे के नारे लगे थे।
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि पटियाला हाउस कोर्ट मंजूरी देने के संबंध में कई बार दिल्ली सरकार को निर्देश दे चुका है, लेकिन इसके बावजूद भी अब तक मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं दी गई। नंदकिशोर गर्ग ने कहा कि यह मुख्यमंत्री का काम नहीं है कि वह किसी मामले की फाइल को दबाकर बैठे। उन्होंने का दिल्ली पुलिस मामले में आरोपपत्र भी दाखिल कर चुकी है, फिर भी दिल्ली सरकार मुकदमा चलाने की मंजूरी क्यों नहीं दे रही है और इसके पीछे क्या कारण है।
याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट से दिल्ली सरकार को मुकदमा चलाने की मंजूरी देने का निर्देश देने की मांग की है। 14 जनवरी, 2019 को दिल्ली पुलिस ने करीब 1200 पन्ने का आरोपपत्र अदालत में दाखिल किया था। इसमें जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार, डेमोक्रेटिक स्टूडेंट यूनियन के सदस्य उमर खालिद व इतिहास विषय के शोधार्थी अनिर्बान भट्टाचार्या को मुख्य आरोपित बनाया था।
वहीं, सात अन्य आरोपितों में आकिब हुसैन, मुजीब हुसैन, मुनीब हुसैन, उतर गुल, रईस रसूल, बसरत अली व खालिद बशीर भट शामिल हैं। इसके अलावा आरोपपत्र के कॉलम 12 में संदिग्धों में रामा नागा, आशुतोष, शैला राशिद, डी राजा की बेटी अपराजिता राजा, रुबैना सैफी, समर खान समेत 36 छात्रों को रखा गया है।
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