मैं सबसे पहले केएल राहुल के बारे में बात करना चाहता हूं। वह भारतीय क्रिकेट के लिए एक शानदार खिलाड़ी हैं। उनके पास एक अच्छा रवैया, शीर्ष स्तर का फिटनेस, अच्छे स्ट्रोक खेलने की कला है। राहुल एक अमूल्य मध्यक्रम की संपत्ति है जिसे बड़ी भूमिकाओं के लिए तैयार किया जा सकता है।
रिषभ पंत के बैकअप के रूप में राहुल को रखा गया था जिन्होंने विकेटकीपिंग में अच्छा काम किया। इससे अब यह लगता है कि वह आगामी सीमित प्रारूपों में इस दोहरी भूमिका को जारी रखेंगे। मुझे उम्मीद है कि भारतीय टीम प्रबंधन और चयनकर्ताओं ने राहुल की इस भूमिका पर विचार किया होगा।
हालांकि, मैं इस कदम के खिलाफ नहीं हूं कि लेकिन निर्णय लेने वाले कुछ पहलुओं पर विचार करें। सबसे महत्वपूर्ण, क्या उन्होंने राहुल के साथ इस पर चर्चा की है? क्या वह पूरे दिल से विकेटकीपर की भूमिका निभा रहा है? एक युवा क्रिकेटर के लिए आमतौर पर असंभव है कि टीम प्रबंधन द्वारा दी गई जिम्मेदारी को वह ना कह दें। दूसरा, पंत का क्या होगा? मुझे लगता है कि उनका आत्मविश्वास पहले से और भी कम हुआ है।
मुझे नहीं पता कि वह टीम प्रबंधन के इस फैसले को कैसे समझेगा। राहुल के कीपर के रूप में होने से टीम को मैदान पर अच्छा प्रदर्शन करने में मदद मिलेगी। इसके अलावा, रोहित शर्मा और विराट कोहली को क्रमश: मैन ऑफ द मैच और मैन ऑफ द सीरीज का पुरस्कार मिला, लेकिन गेंदबाजों के लिए कुछ ठोस तारीफ होनी चाहिए। उन्होंने सपाट पिचों पर शानदार काम किया है।
केएल राहुल ने 3 मैचों में 3 अलग जगह की बल्लेबाजी
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पूरी सीरीज में विकेटकीपर की भूमिका निभाने वाले केएल राहुल ने इस सीरीज के तीनों मैचों में 3 अलग-अलग जगह बल्लेबाजी की। पंत को परेशान करने वाली बात ये है कि लोकेश राहुल ने पहले मैच में नंबर 3 पर बल्लेबाजी करते हुए 47 रन बनाए, जबकि दूसरे मैच में नंबर 5 पर बल्लेबाजी करते हुए ताबड़तोड़ 80 रन बनाए थे। वहीं, आखिरी मैच में वे ओपनिंग करने उतरे थे और रोहित के साथ अच्छी साझेदारी की थी।
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