कोरोना संकट के बीच UP इलेक्शन मोड में

विधानसभा से पहले होंगे विधान परिषद और पंचायतों के चुनाव

लखनऊ। कोरोना संकट के बीच उत्तर प्रदेश में सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। विधानसभा इलेक्शन से पहले पंचायत चुनावों के चलते नगरों से लेकर गांवों तक सियासी गोटियां बिछने लगी हैं। राजनीतिक दल भी अपने संगठन के कील-कांटे दुरुस्त करने में जुट गये हैं। प्रदेश की सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) चुनावी तैयारियों को लेकर अन्य दलों की तुलना में सबसे आगे है। वहीं प्रदेश की सियासी जमीन से बेदखल हुई कांग्रेस इस समय प्रमुख विपक्षी की भूमिका में नजर आ रही है। कार्यकर्ता सड़कों पर उतर कर पार्टी में जान फंूकने के प्रयास में है। राज्य की प्रमुख विपक्षी समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने भी सोशल मीडिया के सहारे अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं।

उत्तर प्रदेश में विधानसभा के चुनाव 2022 में होने हैं। इससे पहले त्रिस्तरीय पंचायतों और विधान परिषद के स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र की 11 सीटों का चुनाव होना है। पंचायतों के चुनाव अक्टूबर-नवम्बर में ही प्रस्तावित थे, लेकिन कोरोना महामारी के चलते इस चुनाव के समय पर आयोजित होने में शंका है। राज्य निर्वाचन आयोग के एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि राज्य सरकार पंचायतों का कार्यकाल छह माह तक के लिए बढ़ा सकती है। यदि ऐसा होता है तो पंचायतों का चुनाव मई 2021 तक के लिए टल सकता है। लेकिन, ग्रामीण क्षेत्रों में चुनावों के लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं। विशेषकर ग्राम प्रधानों की उम्मीदवारी को लेकर गांवों की चैपालों और बाजारों तक रणनीति बनने लगी है। इसके अलावा प्रदेश में विधान परिषद की पांच स्नातक और छह शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र की सीटों पर अप्रैल 2021 में चुनाव होना है। बसपा को छोड़ सभी दल इस चुनाव में जोर आजमाइस करेंगे। वहीं पंचायत चुनाव में इस बार सभी पार्टियां उतरने का मन बना रही हैं। ऐसे में ये दोनों चुनाव मिशन 2022 से पहले सियासी दलों के लिए रिहर्सल (पूर्वाभ्यास) साबित होंगे।

कोरोना वायरस ने राजनीतिक दलों की गतिविधियों को काफी बदल दिया है। अब सभी दल सोशल मीडिया के सहारे अपनी गतिविधियां चला रहे हैं। हालांकि सत्तारुढ़ भाजपा इसमें भी सबसे आगे है। कोरोना काल में भाजपा ने पूरे देश में लगातार कई वर्चुअल रैलियां आयोजित कर सभी दलों को काफी पीछे छोड़ दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हाल ही में ‘सेवा ही संगठन’ कार्यक्रम के माध्यम से उप्र के भाजपा कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाया। इससे पहले पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी वर्चुअल रैली के माध्यम से कार्यकर्ताओं को संबोधित कर चुके हैं। दरअसल भाजपा अपनी दूरदर्शी कार्ययोजना के तहत लोक सभा 2019 के चुनाव के बाद से ही मिशन 2022 में लग गई है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ला का कहना है कि यद्यपि विधानसभा के चुनाव में अभी काफी वक्त है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी की लोककल्याण नीतियों के कारण भाजपा फिर से भारी बहुमत के साथ सरकार बनाएगी।

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