UP शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने बनाई राजनीतिक पार्टी

लखनऊ। शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी ने अपनी नई राजनीतिक पार्टी बना ली है। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की पैरवी करने वाले शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन सैयद वसीम रिजवी अपनी राजनीतिक पारी शुरू करने जा रहे हैं। उन्होंने इंडिया शिया अवामी लीग के जरिये शिया समाज को सामाजिक एवं राजनीतिक अधिकार दिलाने का वादा किया है। उन्होंने कहा कि राजनीति में हमेशा से शिया समुदाय की उपेक्षा की गई है।

वसीम रिजवी के इस कदम को मुसलमानों में दो फाड़ होने के तौर पर देखा जा रहा है। शिया मुसलमानों की अलग राष्ट्रीय पार्टी बनने से तय है कि मुसलमानों में भी अब दो अलग धड़ों की तरह वोटों का बंटवारा होगा। वसीम रिजवी ने कहा कि अपनी ही कौम में दोयम दर्जे के व्यवहार से आहत होकर उन्होंने इस पार्टी की शुरूआत की है। इस पार्टी की मदद से शिया मुसलमानों के हितों की लड़ाई लड़ी जाएगी।

वसीम रिजवी ने नई पार्टी बनाने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज में अति पिछड़ा शिया वर्ग को सामाजिक, राजनीतिक और सरकारी योजनाओं से साजिशन वंचित किया जाता रहा है। जब भी कहीं दंगे होते हैं तो शिया समुदाय का ही सबसे अधिक नुकसान होता है। हिन्दू-मुस्लिम दंगे में कभी भी शिया समुदाय ने कोई पहल नहीं की। वसीम रिजवी ने कहा कि वर्तमान में कश्मीर में आइएस का तेजी से प्रभाव बढ़ा रहा है। इसका हिंदुस्तान में प्रवेश करना देश के लिए सबसे बड़ा खतरा है। खाड़ी देशों में आइएस गैर मुसलमानों के साथ लाखों शियाओं का कत्ल कर चुका है। ऐसे में शिया समाज से हमदर्दी रखने वाले बुद्धिजीवियों से विचार विमर्श करने के बाद ही इंडियन शिया अवामी लीग का गठन किया गया है। इसमें दो उपाध्यक्ष, एक महासचिव, दो सचिव, एक कोषाध्यक्ष व आठ सदस्य नामित किए हैं।

16 प्रदेशों में प्रदेश अध्यक्ष मनोनीत

वसीम रिजवी ने बताया कि इंडियन शिया अवामी लीग को चुनाव आयोग में पंजीकृत कराने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। पार्टी ने 16 प्रदेशों में प्रदेश अध्यक्ष मनोनीत कर दिए हैं। जबकि उत्तर प्रदेश के 45 जिलों में जिलाध्यक्ष मनोनीत किए जा चुके हैं। देश के बाकी स्थानों पर मनोनयन की प्रक्रिया चल रही है। हर राज्य में अब शिया मुसलमानों के बीच से बड़े चेहरों को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। पार्टी राष्ट्रीय स्तर पर चुनाव लडऩे की तैयारी करेगी। देशभर में मुसलमानों की कुल आबादी में बीस प्रतिशत शिया मुसलमान और बाकी सुन्नी हैं, ऐसे में पार्टी आने वाले चुनावों में निर्णायक भूमिका निभा सकती है। 

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