शिरोमणि अकाली दल नेत्री और पूर्व केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने केंद्रीय कैबिेनेट से अपने इस्तीफे को लेकर फिर सफाई दी है। उन्होंने शुक्रवार को कहा, उन्होंने केंद्र सरकार से कहा था कि ये विधेयक सभी पक्षों से विचार-विमर्श के बाद संसद मे पेश किया जाए। लेकिन उनके अनुरोध पर ध्यान नहीं दिया गया।
हरसिमरत कौर बादल ने कहा, मैंने सरकार से कहा कि किसान सहित सभी पक्षों और हितधारकों के साथ विचार- विमर्श के बाद ही कृषि विधेयक लाए जाएं। इसमें राजनीति क्या है? मैंने इस बारे में कई बार कहा, लेकिन इसे नहीं माना गया। उन्होंने कहा कि किसान में ही नहीं अन्य राज्यों में भी किसान इन विधेयकों का विरोध कर रहे हैं। न केवल पंजाब बल्कि हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में भी किसान आंदोलन कर रहे हैं। दक्षिण भारत में भी इनका विरोध कर रहे हैं।

बता दें कि हरसिमरत कौर बादल ने वीरवार को कृषि विधेयकाें के विरोध में केंद्रीय कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया गया है। हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि शिरोमणि अकाली दल किसानों के प्रति समर्पित पार्टी है। ऐसे में शिअद किसानों के हितों से समझौता नहीं कर सकता है। लोकसभा में शिअद के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने कृषि विधेयकों का खुलकर विरोध किया था।
दूसरी ओर, पंजाब में हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे पर विभिन्न राजनीतिक दलों की मिलीजुली प्रतिक्रिया सामने आ रही है। पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और कांग्रेस के नेताओं ने हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे को अपना राजनीति भविष्य बचाने की कोशिश करार दिया है। आम आदमी पार्टी के पंजाब प्रधान भगवंत मान और अन्य नेताओं ने भी हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे की टाइमिंग पर सवाल उठाया है।
उधर, पंजाब के आंदोलनकारी किसानों ने भी हरसिमरत कौर बादल के इस्तीफे पर अपनी प्रतिक्रिया दी है। किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के महासचिव सरवन सिंह पंधेर ने कहा कि हरसिमरत कौर बादल ने काफी देरी से इस्तीफा दिया है। यह पंजाब के लोगों का गुस्सा कम करने की कोशिश है। यदि शिरोमणि अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल काे अब भी स्थिति का अहसास है तो उनको अपने लाखों कार्यकर्ताओं के साथ संसद का घेराव कराना चाहिए।
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