दुनिया

खंडहर मकान तोड़ते समय मिला सोने से भरा घड़ा, जानिए किसे मिलेगा यह धन

आपने कई बार ऐसी खबरें सुनी होगी कि लोगों को कहीं गढ़ा हुआ धन मिल गया हो। कुछ ऐसा ही पश्चिमी फ्रांस में एक खाली पड़े घर को तोड़ने पहुंची टीम के साथ हुआ। मकान को ध्वस्त करते समय उन्हें वहां एक घड़े में सोने के सिक्के मिले। पोंट-एवन के ब्रिटनी शहर स्थित एक घर में मजदूरों ने काम शुरू किया तो उन्हें वहां एक लेड का कंटेनर मिला। वह तो उन्हें वह एक सामान्य घड़ा ही लगा लेकिन न जब उन्होंने उसे हिलाया तो सिक्कों की खनक हुई। घड़े के अंदर उन्हें 600 बेल्जियम सोने के सिक्के मिले जो कि 1870 के थे और उस पर किंग लियोपोल्डज II का स्टाम्प था। इस किंग ने 1865 से 1909 तक शासन किया था। पुलिस को श्रमिकों ने जो राशि सौंपी है उसकी कीमत अभी ज्ञात नहीं है। एक स्थानीय अखबार के मुताबिक इन सिक्कों की पूरी कीमत एक लाख यूरो (1,18,000 डॉलर) हो सकती है। फ्रांसीसी कानून के तहत, जिसने इस धन को खोजा और जिस जमीन के अंदर मिला उसके मालिक के बीच ये धन आधा-आधा बंटेगा। ले बिहान के मुताबिक घर का मालिक इस धन के मिलने से जरा भी आश्चर्यचकित नहीं था क्योंकि उसके दादा कॉइन कलेक्टर थे।

आपने कई बार ऐसी खबरें सुनी होगी कि लोगों को कहीं गढ़ा हुआ धन मिल गया हो। कुछ ऐसा ही पश्चिमी फ्रांस में एक खाली पड़े घर को तोड़ने पहुंची टीम के साथ हुआ। मकान को ध्वस्त करते समय उन्हें …

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चीन जरूरी भी, मजबूरी भी: 42 दिन में मोदी-जिनपिंग की दो मुलाकातों से क्या बदला?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के क्विंगदाओ शहर में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन में हिस्सा लेकर स्वदेश लौट आए हैं. पिछले 42 दिन में ये चीन का उनका दूसरा दौरा था. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रैल के आखिरी हफ्ते में चीन का दौरा किया था जिसमें चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने वुहान शहर में मोदी की मेजबानी की थी और अनौपचारिक बातचीत में पर्सनल केमिस्ट्री पर खास जोर दिया गया था. वुहान में दोनों देशों की कोशिश ये थी कि तनाव के मुद्दों की वजह से रिश्ते खराब न हो पाएं, दुनिया ने क्विंगदाओ में इस कोशिश को और आगे बढ़ते देखा. पहली बार एससीओ का पूर्ण सदस्य भारत इस बार पीएम मोदी ने चीन का दौरा एससीओ सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए किया जिसमें पहली बार भारत पूर्ण सदस्य के रूप में शामिल हुआ. रूस-चीन, ईरान के अलावा पाकिस्तान भी एससीओ का सदस्य है. सुरक्षा से ज्यादा इस संगठन का जोर आर्थिक सहयोग पर है. ये दोनों मुलाकातें काफी अहम हैं, खासकर डोकलाम तनाव के बाद दोनों देशों के रिश्तों में आई तल्खी के मद्देनजर. डोकलाम से आगे निकले रिश्ते पिछले साल डोकलाम में सड़क निर्माण से उपजे तनाव ने युद्ध जैसे हालात उत्पन्न कर दिए थे. एशिया के दो सबसे बड़े और परमाणु संपन्न देशों के सैनिक 73 दिन तक आमने-सामने डटे रहे थे. परमाणु युद्ध तक की धमकियां दी जा रही थीं. पर्सनल केमिस्ट्री से बदले हालात डोकलाम तनाव को कम करने के लिए मोदी और जिनपिंग ने कूटनीति का सहारा लिया. साथ ही दोनों नेताओं की पर्सनल केमिस्ट्री भी काफी मददगार साबित हुई. पिछले चार साल में दोनों नेता 14 बार मिल चुके हैं. इस साल कम से कम 4 और सम्मेलनों में मुलाकातें होंगी. साथ ही जिनपिंग ने अगले साल भारत दौरे का न्योता भी स्वीकार किया है. इससे पहले सितंबर 2014 में जिनपिंग भारत आए थे. पीएम मोदी ने अहमदाबाद में उनकी अगवानी की थी. वुहान में बनी बुनियाद अप्रैल में वुहान शहर में दुनिया की दो सबसे बड़ी अभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के नेताओं ने अनौपचारिक बैठक कर तनाव को दूर करने की कोशिश का ऐलान किया. आज हालात पिछले कुछ महीनों पहले की स्थिति से काफी भिन्न दिखाई दे रहे हैं. क्या बदलाव दिखा है इन 42 दिनों में भारत-चीन के रिश्तों में, सरहद पर और कूटनीति में.. -ब्रह्मपुत्र नदी का डेटा शेयर करेगा चीन शनिवार को शी जिनपिंग और पीएम नरेंद्र मोदी की मुलाकात के बाद ब्रह्मपुत्र से जुड़े हाइड्रोलॉजिकल डेटा को साझा करने को लेकर अहम समझौता हुआ. पूर्वोत्तर में ब्रह्मपुत्र नदी भारत की लाइफलाइन है और वहां रहने वाले लोगों के लिए इस नदी के जल बहाव के बारे में सटीक जानकारी रखना जरूरी है. डोकलाम तनाव के बाद चीन ने ब्रह्मपुत्र नदी का डेटा शेयर करना बंद कर दिया था. इससे असम समेत कई पूर्वोत्तर राज्यों में बाढ़ के पानी पर नियंत्रण और प्रबंधन में दिक्कतें आ रही थी. -व्यापार घाटा कम करने पर सहमति भारत-चीन के संबंध आर्थिक ज्यादा हैं. चीन ने जहां भारत में 160 बिलियन डॉलर का निवेश किया है, वहीं चीन के लिए भारत सबसे बड़ा बाजार है. भारत-चीन ने 2020 तक आपसी व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है. इसमें भारत की चिंता 51 अरब डॉलर के व्यापार घाटे को लेकर थी. इसके मद्देनजर चीन ने भारत से अनाज, चीनी, अन्य कृषि उत्पादों के आयात को बढ़ावा देने का फैसला किया है. इसे व्यापार असंतुलन की भारत की चिंता के मद्देनजर बड़ा कदम माना जा रहा है. -सीमा पर तनाव कम करने के लिए मैकेनिज्म भारत और चीन के बीच 3,488 किमी लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) है. आए दिन तनाव के मुद्दों को सुलझाने के लिए दोनों देश जल्द ही हॉटलाइन संपर्क शुरू करने जा रहे हैं. साथ ही वुहान में दोनों नेताओं के बीच अपनी-अपनी सेनाओं को स्ट्रैटेजिक गाइडेंस जारी करने और शांति बनाए रखने के लिए जरूरी स्ट्रैटेजिक मेकेनिज्म मजबूत करने पर सहमति बनी थी. एससीओ बैठक से इतर हुई मोदी-जिनपिंग मुलाकात के बाद विदेश सचिव विजय गोखले ने बताया कि दोनों नेता सभी मतभेदों को शांतिपूर्ण तरीके से दूर करने पर सहमत हुए हैं. सीमा विवाद को सुलझाने के लिए दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधि वार्ता करेंगे. -वित्तीय संबंध बढ़ाने पर जोर विदेश सचिव ने बताया कि भारत ने चीन के सरकारी बैंक ‘बैंक ऑफ चाइना’ को मुंबई में शाखा खोलने की अनुमति दे दी है. जिनपिंग ने दोनों देशों के बीच वित्तीय क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने का सुझाव दिया था. इसके जवाब में मोदी ने कहा कि भारत बैंक ऑफ चाइना को मुंबई में शाखा खोलने की अनुमति देने को तैयार है. -कृषि उत्पादों का भारत करेगा चीन को निर्यात कृषि संबंधी समझौते के तहत अब भारत चीन को बासमती के साथ-साथ अन्य तरह के चावल, चीनी, औषधियों का निर्यात करेगा. भारत पहली बार चीन को चीनी निर्यात करने जा रहा है. पीएम मोदी ने अप्रैल की अपनी चीन यात्रा के दौरान इसका वादा किया था. भारत चीन को 10 से 15 लाख टन चीनी निर्यात की तैयारी कर रहा है. यह सौदा करीब 50 करोड़ डॉलर का हो सकता है. -पीपुल टु पीपुल कॉन्टैक्ट का नया तंत्र भारत और चीन ने विवादित मुद्दों पर बातचीत से इतर आपसी संपर्कों और व्यापारिक संबंधों के जरिए संबंध मजबूत करने का नया मंत्र अपनाया है. द्विपक्षीय रिश्तों में गति लाने के लिए भारत और चीन ने लोगों से लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए नया तंत्र गठित करने का फैसला किया है. इस तंत्र में दोनों देशों के विदेश मंत्री नेतृत्व करेंगे. लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए फिल्म, संस्कृति, योग, पारंपरिक भारतीय दवाएं, कला और संग्रहालय जैसे माध्यमों पर जोर दिया गया है. इस तंत्र की पहली बैठक इसी साल होगी. चीन में भारतीय फिल्मों के प्रति बढ़ती लोकप्रियता का भी इसमें जिक्र किया गया. जिनपिंग ने भारतीय फिल्म दंगल, बाहुबली और हिंदी मीडियम का खासतौर पर उल्लेख किया. भारत से जुड़ाव के लिए हाल के वर्षों में चीन ने हिन्दी पढ़ने पर ज़ोर दिया है. चीन की 15 यूनिवर्सिटीज में हिन्दी पढ़ाई जा रही है. भारत का योग भी चीन में खासा लोकप्रिय है. चीन में लगभग 1500 योग गुरु हैं जिनमें से अधिकांश भारतीय हैं. दोनों देशों की साझा ताकत दुनिया के लिए अहम चीन और भारत का साथ आना पूरी दुनिया के लिए अहम है. दोनों देशों की आबादी 2 अरब 60 करोड़ से अधिक है. दोनों दुनिया की उभरती हुई अर्थव्यवस्थाएं हैं. दोनों की सीमाएं आपस में मिलती हैं और सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार भी हैं. दुनिया की जीडीपी में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी रखते हैं. इसीलिए दोनों देशों को दुनिया का भविष्य कहा जाता है. भारत-चीन का सहयोग दुनिया की नीतियों को प्रभावित कर सकता है, इस लिहाज से आपसी विश्वास के लिए उठाए गए ये कदम न सिर्फ भारत और चीन के लिए बल्कि पूरी दुनिया खासकर तीसरी दुनिया के लिए देशों के लिए काफी अहम हैं. चीन की ओबीओआर परियोजना के खिलाफ भारत टिका हुआ है, इस दौरे में भी पीएम मोदी ने चीन की इस परियोजना को भारत की संप्रभुता के खिलाफ करार देकर ठुकरा दिया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के क्विंगदाओ शहर में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सम्मेलन में हिस्सा लेकर स्वदेश लौट आए हैं. पिछले 42 दिन में ये चीन का उनका दूसरा दौरा था. इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रैल के …

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ट्रंप ने ट्वीट कर यूरोप को धोखा दिया, G-7 के बाद जर्मनी का बयान

जर्मन विदेश मंत्री मेको मास ने कहा कि आप महज एक ट्वीट कर बहुत तेजी से विश्वास खो देते हैं. यह बयान तब आया जब ट्रंप ने G-7 के दौरान आमराय वाले एक बयान के शब्दों को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था, 'एकजुट यूरोप अमेरिका फर्स्ट का जवाब है.' बता दें, मास के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने G-7 सम्मेलन के बाद एक संयुक्त बयान से पीछे हट कर यूरोप के साथ विश्वसनीय संबंध को तार-तार कर दिया. G-7 समिट के बाद 'ट्विटर बम' फोड़ते सिंगापुर पहुंचे ट्रंप ट्रंप के इस कदम की आज जर्मनी के राजनीतिक गलियारों में व्यापक निंदा की गई. अमेरिका ने लगाया कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूदो पर आरोप इस बीच, वाशिंगटन से प्राप्त खबर के मुताबिक व्हाइट हाउस के आर्थिक सलाहकार लैरी कुदलोव ने आज कहा कि कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूदो ने जी-7 सम्मेलन में हमारी पीठ में छुरा घोंपा. सिंगापुर पहुंचे दो सबसे बड़े दुश्मन, मुलाकात में खर्च होंगे 100 करोड़ रुपये कुदलोव ने कहा कि अमेरिका को जस्टिन द्वारा संवाददाता सम्मेलन में दिए बयान पर ऐतराज है. उन्होंने कहा कि हम सद्भावना के साथ बयान में शामिल हुए थे. हालांकि, इसके बाद ट्रंप ने ट्वीट किया कि उन्होंने अमेरिकी प्रतिनिधियों को बयान को मंजूरी नहीं देने का निर्देश दिया है.

जर्मन विदेश मंत्री मेको मास ने कहा कि आप महज एक ट्वीट कर बहुत तेजी से विश्वास खो देते हैं. यह बयान तब आया जब ट्रंप ने  G-7 के दौरान आमराय वाले एक बयान के शब्दों को खारिज कर दिया …

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मुलाकात से पहले ट्रंप का ट्वीट धमाका

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और नॉर्थ कोरिया के किम जोंग उन कि मुलाकात का वक़्त नजदीक आ रहा है दोनों नेता सिंगापूर पहुंच चुके है. सिंगापूर पहुंचने के ठीक पहले ट्रंप ने कहा- 'मुझे लगता है कि किम जोंग उन अपने लोगों के लिए अच्छा करना चाहते हैं और उनके पास ऐसा करने का अवसर है. यह एकमात्र मौका है.' हालांकि ट्रंप ने ये भी कहा कि उत्तर कोरिया ‘हमारे साथ बेहद अच्छा काम कर रहा है.' इससे पहले दुनिया की अग्रणी औद्योगिक अर्थव्यवस्थाओं के समूह G-7 के सम्मेलन के बाद कनाडा पर डोनाल्ड ट्रंप ट्वीट हमला बोल कर एक नए विवाद को जन्म दे दिया है. डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट किया, ‘मैंने संवाददाता सम्मेलन में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के झूठे बयान और कनाडा द्वारा अमेरिकी किसानों, कामगारों और कंपनियों पर लगाए जा रहे भारी-भरकम शुल्कों को देखते हुए हमने अपने प्रतिनिधि को कहा कि वो साझा बयान की पुष्टि न करें, क्योंकि हम अमेरिकी बाजार में भारी मात्रा में आ रहे वाहनों पर शुल्क लगाने पर विचार कर रहे हैं.’ उन्होंने लिखा, ‘कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने G-7 बैठक में दबे और सुलझे होने का नाटक किया, ताकि वह उसके बाद वहां से मेरे प्रस्थान के बाद संवाददाता सम्मेलन में बोल सकें और कह सकें....उन्हें कोई धमका नहीं सकता. बहुत ही बेईमान और कमजोर व्यक्ति.’ ट्रंप के इन ट्वीट के बाद बवाल मच गया. मामले को लेकर जर्मनी के विदेश मंत्री मेको मास ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने G-7 सम्मेलन के बाद एक संयुक्त बयान से पीछे हटकर यूरोप के साथ विश्वसनीय संबंध को तार-तार कर दिया है. उन्होंने ट्रंप से कहा कि आप महज एक ट्वीट कर बहुत तेजी से विश्वास खो देते हैं.

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और नॉर्थ कोरिया के किम जोंग उन कि मुलाकात का वक़्त नजदीक आ रहा है दोनों नेता सिंगापूर पहुंच चुके है. सिंगापूर पहुंचने के ठीक पहले ट्रंप ने कहा- ‘मुझे लगता है कि किम जोंग …

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नीरव मोदी ने लगाई ब्रिटैन से राजनीतिक शरण की गुहार

अब नीरव मोदी लंदन में है. पीएनबी बैंक में महाघोटाला करने के बाद देश से भागे हिरा कारोबारी ने अब ब्रिटैन से राजनीतिक शरण की भीख मांगी है. ब्रिटेन के गृह विभाग ने इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है. भारत के दूसरे सबसे बड़े सरकारी बैंक पंजाब नेशनल बैंक ने नीरव मोदी व मेहुल चोकसी 13,400 करोड़ का घोटाला करके विदेश भाग गए है. भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा, "हमारी कोशिश है कि प्रत्यर्पण के बजाय लॉ इन्फोर्समेंट एजेंसियों के द्वारा ही नीरव मोदी तक पहुंच बनाई जाए. भारतीय जांच एजेंसिया नीरव मोदी और मेहुल चौकसी के आलावा एक और अन्य भगोड़े कारोबारी विजय माल्या को भी देश में लाने की कोशिशों में जुटी है. भारत में बैंको के साथ घोटाला करने के बाद ये विदेश भाग गए है और आराम का जीवन जी रहे है. वही सरकार अभी तक इन में से किसी के भी गिरेबान तक नहीं पहुंच सकी है. जब भी कभी जांच एजेंसिया इन तक पहुंचने की जुगत में कामयाबी हासिल करने वाली होती है ये एक देश से दूसरे देश पहुंच जाते है और ये लुका छुपी फ़िलहाल जारी है. विदेश की प्रत्यर्पण निति भारत की राह का सबसे बड़ा रोड़ा बन रही है और इन भगोड़ो का सबसे बड़ा हथियार.

अब नीरव मोदी लंदन में है. पीएनबी बैंक में महाघोटाला करने के बाद देश से भागे हिरा कारोबारी ने अब ब्रिटैन से राजनीतिक शरण की भीख मांगी है. ब्रिटेन के गृह विभाग ने इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं …

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ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध की काट खोजने यूरोप पहुंचा भारतीय दल

ईरान को लेकर अमेरिकी की बढ़ती सख्ती देख भारत भी अपनी भावी रणनीति को लेकर सतर्क हो गया है। ईरान के साथ अपने कारोबारी रिश्तों को देखते भारत अभी से ऐसे विकल्प की तलाश में जुट गया है जिससे अमेरिकी प्रतिबंधों को निष्प्रभावी किया जा सके। इस संबंध में पिछले हफ्ते भारत का उच्चस्तरीय दल यूरोपीय देशों की यात्रा पर गया था ताकि अमेरिकी प्रतिबंधों के बढ़ने के बाद एक साझा नीति तैयार की जा सके। इस दल में विदेश मंत्रालय, पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय के उच्चाधिकारी शामिल थे। भारत खास तौर पर ईरान से आयात होने वाले कच्चे तेल के लिए भुगतान का कोई सुरक्षित रास्ता अख्तियार करना चाहता है ताकि वहां से होने वाले तेल आयात पर कोई खास असर नहीं पड़े। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने पिछले हफ्ते दावा किया था, 'भारत किसी देश पर किसी दूसरे देश की तरफ से लगाए गए प्रतिबंधों को नहीं मानता है। हां, अगर संयुक्त राष्ट्र की तरफ से प्रतिबंध लगाया जाता है तो बात दूसरी है।' इसका साफ मतलब है कि भारत ईरान पर अभी अमेरिकी प्रतिबंधों को नहीं मानेगा लेकिन अगर आगे चलकर अमेरिका दूसरे देशों को मना कर संयुक्त राष्ट्र के जरिये ईरान पर प्रतिबंध प्रभावी करता है तो भारत के लिए दिक्कत हो सकती है। यूरोपीय देशों के दौरे पर गए भारतीय दल ने इसी संभावना की काट खोजने की कोशिश की। भारत यह परखने की कोशिश कर रहा है कि प्रतिबंधों के बढ़ने की हालात में यूरोपीय बैंकिंग व्यवस्था के जरिये किस तरह से ईरान को उसके क्रूड के बदले भुगतान किया जा सकता है। अभी भी भारत ईरान से जो तेल खरीदता है, उसके एक हिस्से का भुगतान जर्मनी के बैंकों के जरिये किया जाता है। अभी तक यूरोप के अधिकांश देश ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों को लेकर काफी असहज हैं और इसका खुला विरोध कर रहे हैं। विदेश मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों का कहना है कि ईरान पर प्रतिबंध को लेकर हम अमेरिका को भी समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि अगर उसकी तरफ से कड़ाई की गई तो यह उसके हितों के ही खिलाफ है। मसलन, भारत चाबहार के रास्ते अफगानिस्तान में शांति कायम करने की जो कोशिश कर रहा है, वह अमेरिका के हितों के मुताबिक है लेकिन प्रतिबंध की वजह से अगर चाबहार पोर्ट का काम प्रभावित होता है तो इसका उल्टा असर हो सकता है। नवंबर, 2017 भारत व अमेरिका के विदेश मंत्रियों की बैठक में भी यह मुद्दा उठा था तब अमेरिका ने भारतीय तर्क को स्वीकार किया था। लेकिन अब अमेरिका का रुख बदला हुआ नजर आ रहा है। सनद रहे कि भारत ने चालू वित्त वर्ष के दौरान ईरान से बड़े पैमाने पर कच्चा तेल खरीदने की तैयारी की थी। अमेरिका नहीं चाहता है कि भारत ईरान से तेल खरीदे।

ईरान को लेकर अमेरिकी की बढ़ती सख्ती देख भारत भी अपनी भावी रणनीति को लेकर सतर्क हो गया है। ईरान के साथ अपने कारोबारी रिश्तों को देखते भारत अभी से ऐसे विकल्प की तलाश में जुट गया है जिससे अमेरिकी …

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SCO शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी ने दिया सुरक्षा का SECURE मंत्र

इससे पहले शनिवार को पीएम मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय वार्ता की. इस द्विपक्षीय वार्ता में दोनों नेताओं ने करीब एक महीने पहले वुहान में हुई पहली अनौपचारिक बैठक में लिए गए निर्णयों के क्रियान्वयन पर चर्चा की. पिछले चार साल में यह दोनों नेताओं की 14वीं मुलाकात है. इस दौरान पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मौजूदगी में दोनों देशों के बीच बाढ़ के आंकड़े उपलब्ध कराने और चावल के निर्यात के नियम सरल बनाने को लेकर समझौतों पर दस्तखत हुए. पहले समझौते में भारतीय राजदूत गौतम बंबावाले और चीनी उप विदेश मंत्री कोंग शौनयू ने हस्ताक्षर किए. इसके बाद दूसरे समझौते में गौतम बंबावाले और चीनी के मंत्री नी यूफेंग ने दस्तखत किए. भारत पिछले साल बना SCO का पूर्ण सदस्‍य बता दें, भारत पिछले साल ही शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का पूर्ण सदस्य बना था. SCO के पूर्ण सदस्यों में भारत, चीन, रूस, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, कजाकिस्तान, पाकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. अफगानिस्तान, मंगोलिया, इरान और बेलारूस पर्यवेक्षक (ऑब्जर्वर) हैं.इससे पहले शनिवार को पीएम मोदी ने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय वार्ता की. इस द्विपक्षीय वार्ता में दोनों नेताओं ने करीब एक महीने पहले वुहान में हुई पहली अनौपचारिक बैठक में लिए गए निर्णयों के क्रियान्वयन पर चर्चा की. पिछले चार साल में यह दोनों नेताओं की 14वीं मुलाकात है. इस दौरान पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मौजूदगी में दोनों देशों के बीच बाढ़ के आंकड़े उपलब्ध कराने और चावल के निर्यात के नियम सरल बनाने को लेकर समझौतों पर दस्तखत हुए. पहले समझौते में भारतीय राजदूत गौतम बंबावाले और चीनी उप विदेश मंत्री कोंग शौनयू ने हस्ताक्षर किए. इसके बाद दूसरे समझौते में गौतम बंबावाले और चीनी के मंत्री नी यूफेंग ने दस्तखत किए. भारत पिछले साल बना SCO का पूर्ण सदस्‍य बता दें, भारत पिछले साल ही शंघाई सहयोग संगठन (SCO) का पूर्ण सदस्य बना था. SCO के पूर्ण सदस्यों में भारत, चीन, रूस, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, कजाकिस्तान, पाकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं. अफगानिस्तान, मंगोलिया, इरान और बेलारूस पर्यवेक्षक (ऑब्जर्वर) हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने एससीओ सदस्य देशों को संबोधित करते हुए कहा कि पड़ोसियों के साथ कनेक्टिविटी पर भारत का जोर है. इस दौरान पीएम मोदी ने …

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कनाडा के PM ट्रूडो पर भड़के ट्रंप, बताया- बेईमान और कमजोर

बता दें कि इससे पहले जस्टिन ट्रूडो ने उत्तरी अमेरिकी मुक्त व्यापार समझौते (NAFTA) और द्विपक्षीय व्यापार संधि के अमेरिका के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था. जिस पर राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि अगर संशोधित NAFTA डील पर हस्ताक्षर किए जाते हैं, तो वह एल्यूमीनियम और इस्पात उत्पादों पर नए लगाए गए 25 प्रतिशत टैरिफ छोड़ देंगे.

कनाडा में हुआ जी-7 देशों का दो दिवसीय शिखर सम्मेलन बड़े विवाद की वजह बन गया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो टैरिफ के मसले पर आमने-सामने आ गए हैं और इस लड़ाई में ट्रंप …

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मुलाकात से पहले ट्रंप की किम को चेतावनी

12 जून को सिंगापुर में हो रही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग कि बहुप्रतीक्षित मुलाकात से पहले ट्रंप ने G7 सम्मेलन के दौरान कहा है कि किम जोंग के लिए सिंगापुर शिखर सम्‍मेलन आखिरी मौका है. किम जोंग आज सिंगापुर के लिए रवाना होंगे. डोनाल्‍ड ट्रंप का मानना है कि किम के साथ मुलाकात 'शांति का मिशन' है. इससे पहले भी डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि 12 जून को सिंगापुर में किम के साथ होने वाली उनकी मुलाकात सिर्फ तस्वीरें खिंचाने का अवसर नहीं बल्कि इससे कहीं बढ़कर होगी. ट्रंप ने ये भी कहा था कि, 'सिंगापुर वार्ता सफल रहती है तो अगली मुलाकात व्हाइट हाउस में होगी.' ट्रंप ने इस मुलाकात को लेकर कहा था कि यदि सब ठीक रहा तो वे किम को वाइट हाउस आने का निमंत्रण दे सकते है जिससे दोनों देशो के बीच संबंध और मधुर हो. मुलाकात सिंगापुर के पर्यटक रिसॉर्ट द्वीप सेंटोसा में होगी जिसे दुनियाभर के लगभग 2,500 से अधिक पत्रकार कवर करेंगे. वार्ता को लेकर कई तरह कि अटकले थी और ये मुलाकात पहले रद्द भी हो गई थी. उस वक्‍त ट्रंप ने कहा था कि किम के हाल के बयानों से यह मुलाकात संभव नहीं है. किम का चीन दौरा इसका मुख्य कारण था.12 जून को सिंगापुर में हो रही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग कि बहुप्रतीक्षित मुलाकात से पहले ट्रंप ने G7 सम्मेलन के दौरान कहा है कि किम जोंग के लिए सिंगापुर शिखर सम्‍मेलन आखिरी मौका है. किम जोंग आज सिंगापुर के लिए रवाना होंगे. डोनाल्‍ड ट्रंप का मानना है कि किम के साथ मुलाकात 'शांति का मिशन' है. इससे पहले भी डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि 12 जून को सिंगापुर में किम के साथ होने वाली उनकी मुलाकात सिर्फ तस्वीरें खिंचाने का अवसर नहीं बल्कि इससे कहीं बढ़कर होगी. ट्रंप ने ये भी कहा था कि, 'सिंगापुर वार्ता सफल रहती है तो अगली मुलाकात व्हाइट हाउस में होगी.' ट्रंप ने इस मुलाकात को लेकर कहा था कि यदि सब ठीक रहा तो वे किम को वाइट हाउस आने का निमंत्रण दे सकते है जिससे दोनों देशो के बीच संबंध और मधुर हो. मुलाकात सिंगापुर के पर्यटक रिसॉर्ट द्वीप सेंटोसा में होगी जिसे दुनियाभर के लगभग 2,500 से अधिक पत्रकार कवर करेंगे. वार्ता को लेकर कई तरह कि अटकले थी और ये मुलाकात पहले रद्द भी हो गई थी. उस वक्‍त ट्रंप ने कहा था कि किम के हाल के बयानों से यह मुलाकात संभव नहीं है. किम का चीन दौरा इसका मुख्य कारण था.

12 जून को सिंगापुर में हो रही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग कि बहुप्रतीक्षित मुलाकात से पहले ट्रंप ने G7 सम्मेलन के दौरान कहा है कि किम जोंग के लिए सिंगापुर शिखर सम्‍मेलन आखिरी …

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मिलिए ब्रिटैन में पगड़ी पहन कर परेड करने वाले पहले सैनिक से

ब्रिटेन में गुरदासमान चरणप्रीत सिंह लाल पहले ऐसे सैनिक बने, जिन्होंने मार्च के दौरान हैट की जगह पगड़ी पहनी. मौका था महारानी के आधिकारिक जन्मदिन के मौके पर शनिवार को आयोजित ‘ट्रूपिंग द कलर’ समारोह का जिसमे मार्च के दौरान गुरदासमान चरणप्रीत सिंह लाल ने एक सैनिक के टूर पर शिरकत की और मार्च के दौरान हैट की जगह पगड़ी पहनी. 22 साल के चरणप्रीत इस समारोह में मार्च करने वाले 1,000 सैनिकों में से एक थे. उनकी ये पगड़ी काळा रंग की थी ताकि दूसरे सैनिकों के हैट के रंग से उसका रंग भी मैच कर जाये. अधिकारियो के कहे अनुसार,वह बचपन में ही भारत से ब्रिटेन चले गए थे. चरणप्रीत ने मीडिया को बताया कि पगड़ी पहनकर पार्टिसिपेट करने को लेकर वह गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. उन्होंने आशा जताई कि उनको देखकर अन्य धर्मों और विभिन्न बैकग्राउंड्स से आने वाले लोग भी सेना में आने के लिए प्रेरित होंगे.ला ल ब्रिटेन के लाइकेस्टर में रहते हैं. ब्रिटैन में अब हालत बदल रहे है और गुरदासमान चरणप्रीत सिंह लाल का हैट की जगह पगड़ी पहन कर मार्च करना सचमुच अद्भुत बात है.

ब्रिटेन में गुरदासमान चरणप्रीत सिंह लाल पहले ऐसे सैनिक बने, जिन्होंने मार्च के दौरान हैट की जगह पगड़ी पहनी. मौका था महारानी के आधिकारिक जन्मदिन के मौके पर शनिवार को आयोजित ‘ट्रूपिंग द कलर’ समारोह का जिसमे मार्च के दौरान …

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