प्रदेश

यूपी में SC/ST एक्ट के विरोध में मैनपुरी में ट्रेन रोकी गई, वाराणसी में हाई-वे पर आगजनी

लखनऊ (जेएनएन)। एससी/एसटी एक्ट के खिलाफ उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में लोग लामबंद हैं। आज इसका प्रदेश के पश्चिमी तथा पूर्वी क्षेत्र में जोरदार विरोध हो रहा है। लखनऊ में भारत बंद का आंशिक असर है। उधर महानगरों में पुलिस …

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शिवपाल बोले- मुलायम से पूछकर समाजवादी सेकुलर मोर्चे का किया गठन

समाजवादी पार्टी से अलग होकर शिवपाल यादव ने ‘समाजवादी सेकुलर मोर्चा’ का गठन करने के बाद नया बयान देकर राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है. उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह यादव से पूछकर समाजवादी सेकुलर मोर्चे का गठन किया है. नेताजी ही उनके लिए …

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बिहार में बंद का सबसे ज्यादा असर, कहीं चली गोलियां, कहीं चक्का जाम

देश में आज सवर्ण समाज सड़कों पर उतरा हुआ है. केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट के द्वारा SC/ST एक्ट में किए गए बदलाव को ही पलट दिया गया. इसी को लेकर सवर्ण सरकार से खासा नाराज है. गुरुवार को भारत बंद के …

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लोकसभा चुनाव में दम दिखाएगा शिवपाल का ‘समाजवादी सेक्युलर मोर्चा’, 60 जिलों में बना चुका है पैठ

सुर्खियों से दूर रह कर इस फैंस एसोसिएशन ने शिवपाल सिंह को 60 जनपदों में मजबूत किया. एसोसिएशन के पास बड़ी संख्या में 60 जनपदों में प्रबुद्ध वर्ग से लेकर युवाओं की टीम है. जैसे ही शिवपाल सिंह यादव ने …

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यूपी: शिकागो में विश्व हिंदू कांग्रेस में मुख्य वक्ता होंगे मोहन भागवत

शिकागो में सात से नौ सितंबर को होने जा रहे विश्व हिंदू कांग्रेस में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से दस से ज्यादा लोग हिस्सा लेंगे.  लखनऊ: स्वामी विवेकानंद द्वारा शिकागो की विश्व धर्म सभा में दिए गए भाषण की 125वीं वर्षगांठ के अवसर पर …

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अप्रैल नहीं, जनवरी से मुंशी पुलिया तक दौड़ने लगेगी मेट्रो, मोबाइल ऐप का लोकार्पण

बहुप्रतीक्षित मेट्रो अगले साल अप्रैल नहीं बल्कि जनवरी में ही अमौसी एयरपोर्ट से मुंशी पुलिया तक दौड़ने लगेगी। प्रायॉरिटी रूट की पहली सालगिरह पर आयोजित ‘लखनऊ मेट्रो दिवस’ पर एलएमआरसी के चेयरमैन दुर्गा प्रसाद मिश्र, नगर विकास मंत्री सुरेश खन्ना …

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कर्ज में डूबे किसान ने हाथ में तिरंगा लेकर अफसरों के सामने की आत्मदाह की कोशिश

सरकार की ओर से फसल का मुआवजा नहीं मिलने और कर्ज माफ नहीं होने से परेशान किसान ने मंगलवार को मोहनलालगंज तहसील परिसर में अधिकारियों के सामने आत्मदाह की कोशिश की। किसान हाथ में तिरंगा लेकर पुलिस व प्रशासनिक अफसरों …

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मुख्यमंत्री ने 17 बेसिक शिक्षकों को राज्य अध्यापक पुरस्कार देकर किया सम्मानित

लखनऊ (जेएनएन)। मुख्यमंत्री योगी अादित्यनाथ ने आज लोकभवन में 17 बेसिक शिक्षकों को राज्य अध्यापक पुरस्कार-2017 देकर सम्मानित किया। मुख्यमंत्री से सम्मान पाकर शिक्षक गदगद हो गये।  ये होंगे सम्मानित अल्पा निगम, प्रधानाध्यापिका, प्राथमिक विद्यालय तिलौली, सरदारनगर, गोरखपुर आशुतोष आनंद, …

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कानपुर में तैनात आईपीएस ने घरेलू विवाद में जहरीला पदार्थ खाया, गंभीर हालत में वेंटीलेटर पर

कानपुर (जेएनएन)। कानपुर नगर में एसपी पूर्वी पद पर तैनात 2014 बैच के आईपीएस सुरेंद्र दास ने बुधवार तड़के सरकारी आवास में जहरीला पदार्थ खा लिया। तबियत बिगडऩे पर स्टाफ ड्यूटी ने अधिकारियों को सूचना देकर उर्सला में भर्ती कराया। एसपी …

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महंगे नहीं मोटे अनाज से बनती है सेहत, जानिए कैसे

बदली परिस्थितियों में जमीन 'जहरीली' हो रही तो फसलें भी। रासायनिक उर्वरकों के बेतहाशा उपयोग ने खेती की जो दुर्दशा की है, उससे सभी विज्ञ हैं। हालांकि, जो पैदावार हो रही, वह मात्रात्मक रूप में अधिक जरूर है, मगर गुणवत्ता में बेदम। सूरतेहाल, ऐसा अन्न खाने से सेहत पर असर तो पड़ेगा ही और यही मौजूदा दौर की सबसे बड़ी चिंता भी है। इस सबको देखते हुए थाली में बदलाव व विविधता लाना समय की मांग है। इस लिहाज से देखें तो उत्तराखंड की 'बारानाजा' फसलें इसी बदलाव का प्रतिबिंब हैं, जो पौष्टिकता के साथ औषधीय गुणों से भी लबरेज हैं। कृषि पैदावार बढ़ाने को जिस तरह रासायनिक उर्वरकों का उपयोग हो रहा है, उससे भूमि की उर्वरा शक्ति पर असर पड़ा तो फसलों पर भी। परिणाम तमाम रोगों के तौर पर सामने आ रहा है। ऐसे में पौष्टिक और औषधीय गुणों से लबरेज अन्न मिल जाए तो कहने ही क्या। उत्तराखंड की 'बारानाजा' फसल पद्धति में वह सब मिलता है, जिसकी आज दरकार है। भले ही यहां के पहाड़ी क्षेत्र में सदियों से चलन में मौजूद इस पद्धति से पैदावार कम हो, लेकिन पौष्टिकता के मामले में इनका कोई सानी नहीं है। –– ADVERTISEMENT –– यहां दस घंटे बंद रही लाइफ लाइन, गाड़ियों में बिताई रात यह भी पढ़ें यह है बारानाजा पद्धति विषम भूगोल वाले उत्तराखंड की जलवायु और भौगोलिक स्थितियों को देखते हुए पहाड़ी क्षेत्र के लोगों ने सदियों पहले गेहूं एवं धान की मुख्य फसल के साथ ही विविधताभरी बारानाजा पद्धति को महत्व दिया। मंडुवा व झंगोरा बारानाजा परिवार के मुख्य सदस्य हैं। इसके अलावा ज्वार, चौलाई, भट्ट, तिल, राजमा, उड़़द, गहथ, नौरंगी, कुट्टू, लोबिया, तोर आदि इसकी सहयोगी फसलें हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो बारानाजा मिश्रित खेती का श्रेष्ठ उदाहरण है और यह फसलें पूरी तरह से जैविक भी हैं। इसमें एक साथ बारह फसलें उगाकर पौष्टिक भोजन की जरूरत पूरी करने के साथ ही भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने की क्षमता भी है।

बदली परिस्थितियों में जमीन ‘जहरीली’ हो रही तो फसलें भी। रासायनिक उर्वरकों के बेतहाशा उपयोग ने खेती की जो दुर्दशा की है, उससे सभी विज्ञ हैं। हालांकि, जो पैदावार हो रही, वह मात्रात्मक रूप में अधिक जरूर है, मगर गुणवत्ता …

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