मंदिर में भगदड़ जिम्मेदार कौन !

नेहा बिन्नानी”शिल्पी”, कांदिवली पूर्व, मुंबई

आज के भागते दौड़ते जीवन मे कब श्रद्धा भक्ति में भी भगदड़ होने लगी, हमे मालूम ही नही चला। वैष्णो मंदिर धाम में भगदड़ और उसमें 12 मृतक, कई घायल। ह्रदय विदारक घटना है। मंदिर या किसी धार्मिक स्थल पर होने वाली यह कोई पहली घटना नही है। कभी कुंभ के मेले में भगदड़, कभी किसी और धार्मिक आयोजन में, ऐसी घटनाएं होती आयी है और लोगो को परेशानी भी हुई है।

किंतु प्रश्न ये है कि इसका जिम्मेदार कौन?? सरकार, वहाँ के सुरक्षा प्रशासन कर्मचारी अथवा भक्त/श्रद्धालु।

कुछ भी घटना होती है ,सबसे पहले सरकार को कटघरे में खड़ा किया जाता है, परिस्थिति की नज़ाकत को देखते हुए सरकार भी तुरंत ही सहायता राशि की घोषणा कर देती है ताकि जन आक्रोश न फैले और उनका वोट बैंक भी ना हिले। किंतु सहायता राशि की घोषणा करने ,स्थल का अवलोकन करने से ही समस्या हल हो जाती है!!! गंभीरता से सोचना की ऐसी घटना क्यो घटित हुई, एवं ऐसा पुनः कही ना हो, उससे सीख लेकर उसका निराकरण कर, सभी जगह नियम लागू करने चाहिए।

जिम्मेदार उस धार्मिक स्थल का प्रशासन कर्मचारी- जब सुरक्षा एवं प्रशासन कर्मचारी की नियुक्ति की जाती है तो उनका कार्यभार भी निश्चित कर दिया जाता है। उसके पश्चात भी प्रशासन ऐसी घटनाएं रोकने में समर्थ क्यो नही है। एक समय मे मंदिर में कितने श्रद्धालु उपस्थित रह सकते है, उसका कड़ाई के साथ पालना कि जानी चाहिए।

मंदिर कमेटी को चाहिए कि मंदिर में दर्शन का समय बढ़ाये एवं ऐसी व्यवस्था करे जिससे अधिकाधिक श्रद्धालु काम समय मे सरलता से दर्शन कर सके।विशिष्ठ दर्शन का क्या औचित्य है-  लगभग हर बड़े मंदिर में विशिष्ठ दर्शन की होड़ प्रचलित है  जिसका शुल्क 50 rs से लेकर 500rs तक भी है। जो मंदिर कमेटी की आय का एक बहुत बड़ा हिस्सा है। ईश्वर के लिए सब एक है फिर हम कौन होते है गरीब अमीर का भेद करने वाले। दर्शन की व्यवस्था सबके लिए समान होने चाहिए।

श्रद्धालु जिम्मेदार- ईश्वर कण कण में है। ये बात हमको बचपन से सिखाई जाती है। हम अपनी श्रद्धा भक्ति आस्था  के चलते मंदिर में शांति पाने के लिए मंदिर जाते है फिर वहां जाकर हम शांति का परिचय क्यो नही देते। अगर हमारे पास समय नही है, हमे जल्दी है दुसरो से पहले दर्शन करने की तो बेहतर है घर और ही भक्ति करना। सभी दूसरे भक्तजनों की सुरक्षा जिम्मेदारी भी हम सबकी होती है । मंदिर में बच्चे बड़े बूढ़े सब होते है ऐसे में हमारा कर्तव्य है कि हम अनुशासित रहे। बुद्धिमता का परिचय दे।

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