लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को यहां अपने सरकारी आवास पांच कालिदास मार्ग पर श्री गुरुतेग बहादुर जी महाराज के बलिदान दिवस के 350 वर्ष होने के अवसर पर शहीदी पर्व की संदेश यात्रा का स्वागत किया। इसके उपरांत मुख्यमंत्री आवास पर कीर्तन का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में मुख्यमंत्री के साथ ही राज्य मंत्री बदलदेव सिंह औलख, गुरुद्वारा कमेटियों के पदाधिकारी व गुरु शामिल हुए।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आपकी यह यात्रा गुरुतेग बहादुर जी के बलिदान को जीवंत बनाए रखने और आने वाली पीढ़ी के साथ ही वर्तमान पीढ़ी के लिए एक नई प्रेरणा है। इसीलिए यह बलिदान संदेश यात्रा है। पूरे देश के अंदर इस कार्यक्रम को लेकर एक नया उत्साह और नई उमंग है। देश भर में बड़े-बड़े आयोजन होने हैं। उप्र में भी हमारी कमेटी कार्य कर रही है। 350वां शहीदी दिवस का पहला कार्यक्रम उप्र के लखनऊ में हो रहा है। दिल्ली के लिए यहां से यात्रा प्रस्थान करने जा रही है। जहां पर सनातन धर्म की रक्षा के लिए गुरुतेग बहादुर ने अपने सर्वस्व न्योछावर कर दिया था। यानी साढ़े तीन सौ वर्षों के इस पूरे इतिहास को इस यात्रा और कार्यक्रमों के माध्यम से जीवंतता प्रदान कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि वह कैसा कालखण्ड रहा होगा, जब औरंगजेब जैसा क्रूर और बर्बर शासक रहा हो। उस समय सनातन धर्म पर हो रहे हमले को ध्यान में रखकर देखें। हर जगह से अत्याचार के समाचार आते थे। औरंगजेब का उद्देश्य ही था कि तिलक और जनेऊ को समाप्त करने का। गुरुतेग बहादुर जी महाराज ने उसे जवाब दिया। उसने अत्याचार की सारी सीमाएं तोड़ दी थीं। भय, प्रलोभन से गुरुतेग बहादुर पर इस्लाम स्वीकार करने का दबाव बनाया। उन्होंने कतई स्वीकार नहीं किया। बलिदान दे दिया। उनके बलिदान पर ही वर्तमान भारत की नीव खड़ी है। आज हम स्वतंत्र भारत के रूप में दुनिया में चौथी अर्थव्यस्था के रूप में स्थापित हैं। पूरे देश के अंदर एक नया उत्साह है। इसकी नीव में बलिदान है। चार-चार साहबजादे देश और धर्म की रक्षा के लिए अपने आप को बलिदान करने में कोई संकोच नहीं करते।
आज के दौर में धर्मांतरण को कैसे आगे बढ़ाने वाले के खिलाफ बलरामपुर में बड़ी कार्रवाई की गयी है। हिन्दुओं में, ब्राह्मण, क्षत्रिय, सिखों व अन्य ओबीसी, अनुसूचित जाति, जनजाति को धर्मांतरण करने का अभियान चला रहा था। सभी जातियों के लिए अलग-अलग रेट तय किए था। 100 करोड़ रुपये तक उसके खाते में आए हैं। उनके कार्य का तरीका बदला है लेकिन उद्देश्य वही है। इसलिए सिख गुरुओं के त्याग बलिदान को याद करते हुए हमें नई रणनीति पर कार्य करना होगा। हिन्दुओं और सिखों को तोड़ने का प्रयास किया गया। हमें तोड़ने की जो साजिशें हो रही हैं, उससे हमें कौन बचाएगा। हम जब सामूहिक रूप से चलते हैं तो वह रणनीति सफल होती है। सबको साथ चलना होगा। कार्यक्रम में आजमगढ़, दिल्ली, लखनऊ, मुरादाबाद, कानपुर, रायबरेली, गोरखपुर, मुजफ्फरनगर, बहराइच समेत अन्य जिलों की गुरुद्वारा कमेटियों के लोग शामिल हुए।
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