असम के राज्यपाल ने कहा कि 30 जुलाई को एनआरसी का अंतिम मसौदा प्रकाशित किया जाना ‘ऐतिहासिक घटना’ है. उन्होंने असम के सभी लोगों को आश्वस्त किया कि अंतिम पंजी में एक भी नाम को नहीं छोड़ा जाएगा. उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि देश में हर राज्य का अपना एनआरसी होना चाहिए सभी राज्यों द्वारा इसे तैयार किया जाना चाहिये और जनगणना रिपोर्ट प्रकाशित होने के बाद हर दस साल बाद इसे अद्यतन किया जाना चाहिए.’

उन्होंने कहा, ‘अगर इसे किया जाता है तो देश की आंतरिक सुरक्षा अच्छी होगी. उन्होंने कहा, ‘केंद्र सरकार और सभी राज्य सरकारों को यह जानने का हक है कि उनके इलाके में कौन विदेशी अवैध तरीके से रह रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि एनआरसी का अंतिम मसौदा जाति या मजहब को इसमें लाए बिना पारदर्शी प्रक्रिया के जरिये तैयार किया गया है. उन्होंने कहा,’यह भारतीय बनाम विदेशी का मुद्दा है और असम में एनआरसी असम समझौते के अनुसार है.’ अंतिम एनआरसी में एक भी भारतीय का नाम नहीं छोड़ा जाएगा. मुखी ने कहा, ‘निश्चित तौर पर उनके नाम सूची में होंगे.’ उन्होंने कहा, ‘जिनके नाम छूट गए हैं, उन्हें चिंतित होने की जरूरत नहीं है. उन्हें अपनी नागरिकता साबित करने का मौका दिया जाएगा.’ उन्होंने कहा कि प्रक्रिया पहले ही चल रही है, जिसके तहत लोगों को बताया जाएगा कि क्यों उनके नाम मसौदा एनआरसी में शामिल नहीं किए गए हैं.