सदर कोतवाली क्षेत्र के पाराओझी गांव में शनिवार को युवक की गुमशुदगी का सच दो महीने बाद सामने आया तो गांव वालों के पैरों तले से जमीन खिसक गई। बेटे की गुमशुदगी में पिता साथ काम करने वाले स्टॉप पर संदेह जता रहे थे लेकिन उन्हें भी नहीं मालूम था कि कोई अपना ही धोखा दे रहा है। पुलिस ने सख्त रुख अपनाया तो साथ रहने वाले बड़े भाई ने सारा सच कबूल दिया। मामूली विवाद में उसने छोटे भाई की हत्या कर शव घर में ही दफना दिया था।
स्कूल बस में हेल्पर था
पाराओझी गांव निवासी काली प्रसाद अहिरवार का 28 वर्षीय छोटा पुत्र बलराम कुछेछा स्थित एक प्राइवेट स्कूल की बस में हेल्पर का काम करता था। वह 28 मार्च से लापता था। काली प्रसाद बेटे के स्टाफ वालों पर शंका व्यक्त कर रहे थे। पिता ने आलाधिकारियों से मामले की शिकायत करते हुए तलाश कराने की मांग की। पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर कोतवाली पुलिस ने जांच शुरू की। शंका होने पर बलराम के बड़े भाई सुघर ङ्क्षसह से कड़ाई के साथ पूछताछ की। जिसने मामले का राजफाश किया और विवाद के चलते छोटे भाई की हत्या करने की बात स्वीकार की।
ईंट से कुचलकर मारने के बाद घर में दफनाया
आरोपित की निशानदेही पर पुलिस ने उसके घर में गड्ढे से शव बरामद किया। सीओ सदर अनुराग ङ्क्षसह ने बताया कि अप्रैल माह में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कर ली गई थी और बलराम की तलाश जारी थी। उसके बड़े भाई सुघर ङ्क्षसह पर कुछ शंका थी, इसके बाद पता चला कि 28 मार्च की सुबह सुघर ङ्क्षसह व बलराम के बीच विवाद हुआ था। सुघर ङ्क्षसह ने उसको पटक कर गले पर कोहनी रख सिर पर ईंट से हमला कर दिया था, जिससे उसकी मौत हो गई और भाई को घर में ही दफना दिया। आरोपित की निशानदेही पर हमले में प्रयोग की गई ईट भी बरामद कर ली गई है। कुल चार भाइयों में सुघर व बलराम साथ रहते थे। मां-बाप अलग मकान में व अन्य भाई छलिया व बंदर दूसरे मकान में रहते है।
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