सौहार्दपूर्ण वातावरण में बातचीत से ही सुलझ सकता है मामला : स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द
वाराणसी : राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के शान्तिपूर्ण समाधान के लिए मुस्लिम वर्ग के बुद्धिजीवी समाज ने हस्ताक्षर अभियान शुरू किया है। एकत्र हस्ताक्षरों को बुद्धिजीवी उच्चतम न्यायालय के कमेटी में पेश करेंगे। समाज का दावा है कि देश के 90 फीसदी मुसलमान चाहते हैं कि राम जन्मभूमि पर भगवान राममंदिर का निर्माण हो। बदले में बाबरी मस्जिद निर्माण के लिए अलग से जमीन की व्यवस्था की जाय। शुक्रवार शाम केदारघाट स्थित श्री विद्यामठ में स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्द की मौजूदगी में लखनऊ के सामाजिक कार्यकर्ता अधिवक्ता अमीर हैदर, पूर्व विधायक मुईद अहमद, पूर्व कमिश्नर कस्टम तारिक गौरी, सीआरपीएफ के पूर्व आईजी आफताब अहमद, सामाजिक कार्यकर्ता वहीद सिद्दकी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि इस मसले को सौहार्दपूर्ण वातावरण में बातचीत के जरिये ही सुलझाया जा सकता है।
अधिवक्ता अमीर हैदर ने कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन भी किया गया है। अमीर हैदर ने कहा कि पिछले 70 सालों से मुस्लिम और हिन्दू समाज के कुछ धर्म गुरुओं ने विवाद के बहाने दोनों समाज को लड़ाने का कार्य किया है। 1947 से आज तक इस मामले को लेकर जितने दंगे फसाद हुए इसमें किसी भी धर्म के गुरू या बड़े उद्योगपतियों का नुकसान नहीं हुआ। मरता तो केवल आम आदमी है। ऐसे में समय आ गया है कि मुसलमान एक मत से जन्मभूमि हिन्दू भाइयों को सौंप दे। पूर्व आईजी आफताब अहमद ने कहा कि इस मामले के हल के लिए हम लोगों की समिति ने चार बिंदु बनाये हैं। पहला-देश के मुसलमान स्वत: सद्भावना से विवादित जमीन को राम मंदिर बनाने के लिए दूसरी पार्टी को सौंप दें। दूसरा-इसके बदले अयोध्या में किसी मुनासिब जगह पर मुसलमानों को 10 एकड़ जमीन मस्जिद निर्माण के लिए दिया जाये। तीसरा-देश के मुसलमानों को भरोसा दिया जाय कि सभी धार्मिक स्थलों की आजादी के समय जो स्थिति थी, वह यथावत बनी रहेगी। चौथा-1991 में बने एक्ट को स्पष्ट और पूर्णत: लागू करने की जबाबदेही इलाके के सांसद, विधायक, डीएम, एसपी की हो।
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