नई दिल्ली : भारतीय नौसेना ने रूस के कलिनिनग्राद में हथियारों और सेंसर से लैस स्टील्थ फ्रिगेट ‘तमाल’ को अपने समुद्री बेड़े में शामिल कर लिया। देवताओं के राजा इंद्र की तलवार के नाम पर रखा गया तमाल भारत का आखिरी आयातित जहाज है, क्योंकि भारत अब अपने सभी जहाजों का निर्माण स्वदेश में ही कर रहा है। हथियारों और सेंसर के मामले में नवीनतम यह युद्धपोत समुद्र और जमीन दोनों पर निशाना साधने के लिए लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस से लैस है। पश्चिमी बेड़े में तैनात होने वाला तमाल युद्धपोत न केवल भारतीय नौसेना की बढ़ती हुई क्षमताओं का प्रतीक होगा, बल्कि भारत-रूस साझेदारी का विशिष्ट उदाहरण पेश करेगा।
पश्चिमी नौसेना कमान के फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ वाइस एडमिरल संजय जे सिंह मुख्य अतिथि के रूप में इस समारोह की अध्यक्षता कर रहे थे। तमाल जहाज तुशील श्रेणी का ऐसा दूसरा युद्धपोत है, जो अपने पूर्ववर्ती जहाजों तलवार और टेग श्रेणी का उन्नत संस्करण व गोपनीयता से कार्य करने वाला जलपोत है। इन दोनों ही श्रेणियों में से प्रत्येक में तीन-तीन जंगी जहाज हैं। तुशील श्रेणी के लिए अनुबंध के हिस्से के रूप में भारत अपने गोवा शिपयार्ड लिमिटेड में त्रिपुट श्रेणी नाम के दो महत्वपूर्ण युद्धपोतों का निर्माण कर रहा है। भारतीय नौसेना जहाजों की इस शृंखला के निर्माण कार्य के पूरा होने के बाद चार विभिन्न श्रेणियों में समान क्षमताओं व उपकरणों और हथियार तथा सेंसर में समानता वाले दस युद्धपोतों का संचालन करेगी।
मास्को स्थित भारतीय दूतावास के मार्गदर्शन में कैलिनिनग्राद में तैनात युद्धपोत पर्यवेक्षण दल के विशेषज्ञों के एक भारतीय दल ने तमाल के निर्माण की पूर्ण रूप से निगरानी की। नौसेना मुख्यालय में इस परियोजना का संचालन युद्धपोत उत्पादन एवं अधिग्रहण नियंत्रक के अधीन पोत निर्माण निदेशालय ने किया। तमाल युद्धपोत का निर्माण रूस के कैलिनिनग्राद स्थित यांतर शिपयार्ड में किया गया है और यह भारतीय नौसेना में विदेशी स्रोत से शामिल होने वाला अंतिम युद्धपोत है, जो भारत सरकार के आत्मनिर्भर भारत तथा मेक इन इंडिया कार्यक्रमों के अनुरूप है। इस जहाज में 26 फीसदी उपकरण स्वदेशी हैं, जिनमें समुद्र और जमीन दोनों पर निशाना साधने के लिए लंबी दूरी की क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस भी शामिल है।
इस जहाज के शस्त्रागार में अपने पूर्ववर्ती युद्धपोतों की तुलना में महत्वपूर्ण बदलाव किये गए हैं, जिनमें लंबवत प्रक्षेपित सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, उन्नत 100 मिलीमीटर तोप, मानक 30 मिलीमीटर गन क्लोज-इन हथियार प्रणाली के आलावा आधुनिक समय की ईओ/आईआर प्रणाली, अत्यधिक भार वाले टारपीडो, तत्काल हमला करने वाले पनडुब्बी रोधी रॉकेट और अनेक निगरानी एवं अग्नि नियंत्रण रडार तथा अन्य प्रणालियां शामिल हैं। मारक प्रणालियों में हवाई पूर्व चेतावनी और बहुउद्देश्यीय हेलीकॉप्टर भी तैनात हैं, जो तमाल के डेक से संचालित हो सकते हैं। युद्धपोत के लड़ाकू सामर्थ्य को नेटवर्क केंद्रित युद्धक क्षमताओं और उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली से बढ़ाया गया है। तमाल अपने भार से कहीं अधिक शक्तिशाली है, इसका टनभार-से-अग्नि अनुपात भी बहुत ज्यादा है।
इसके चालक दल में 250 से अधिक कर्मी हैं, जिन्होंने रूस के सेंट पीटर्सबर्ग और कैलिनिनग्राद की अत्यंत चुनौतीपूर्ण शीतकालीन परिस्थितियों में कठोर तटीय तथा जलगत प्रशिक्षण प्राप्त किया है। तमाल ने लगातार तीन महीनों में व्यापक समुद्री परीक्षण पूरे कर लिए हैं, जिससे इसकी प्रणालियों, हथियारों और सेंसरों का परीक्षण हो चुका है। इस युद्धपोत का नाम तमाल रखा गया है, जो देवताओं के राजा इंद्र द्वारा युद्ध के लिए इस्तेमाल की जाने वाली पौराणिक तलवार का प्रतीक है। इस जहाज का शुभंकर भारतीय पौराणिक कथाओं के अमर भालू राजा ‘जाम्बवंत’ और रूसी राष्ट्रीय पशु यूरेशियन भूरे भालू की समानता से प्रेरित है। इस विध्वंसक युद्धपोत के चालक दल के सदस्य सामूहिक रूप से स्वयं को ‘द ग्रेट बियर्स’ कहलाने में बहुत गर्व महसूस करते हैं। ————–