मोदी सरकार की नई जीएसटी दरें: 22 सितंबर से जनता के लिए बड़ा राहत पैकेज

आलोक अवस्थी

देश की कर व्यवस्था में एक ऐतिहासिक बदलाव 22 सितंबर से लागू हो रहा है। मोदी सरकार द्वारा की गई नई जीएसटी दरों की घोषणा को आम जनता और उद्योग जगत दोनों ही बड़ी राहत मान रहे हैं। इस सुधार का सबसे बड़ा उद्देश्य कर ढांचे को सरल बनाना, महंगाई पर काबू पाना और उपभोक्ताओं की जेब में अधिक बचत सुनिश्चित करना है।

जीएसटी सुधार से पहले की स्थिति

जीएसटी प्रणाली जब वर्ष 2017 में लागू हुई थी, तब इसमें पाँच से अधिक दरें थीं—0%, 5%, 12%, 18% और 28%। इसके अलावा कुछ विशेष वस्तुओं पर उपकर (सेस) भी लगाया जाता था। इससे उपभोक्ता और व्यापारी, दोनों के लिए यह तय करना कठिन हो जाता था कि किसी वस्तु पर वास्तविक कर दर क्या है।

22 सितंबर से लागू होगी नई व्यवस्था

नई व्यवस्था में जीएसटी दरों को सरल बनाते हुए मुख्य रूप से 5% और 18% के स्लैब को आधार बनाया गया है। कई वस्तुओं और सेवाओं पर दरों को घटाया गया है ताकि उनका सीधा लाभ ग्राहकों को मिल सके।
• कपड़े और टेक्सटाइल क्षेत्र: पहले कई वस्त्रों पर 12% जीएसटी लगता था, जिसे घटाकर 5% कर दिया गया है। इससे शर्ट, पैंट, साड़ी और रोज़ाना इस्तेमाल होने वाले रेडीमेड कपड़े सस्ते हो गए हैं।
• खाद्य प्रसंस्कृत वस्तुएँ: पैकेज्ड फूड और डेयरी उत्पादों पर कर दर औसतन 12% से घटाकर 5% कर दी गई है। इससे दूध से बने उत्पाद, स्नैक्स और बिस्कुट जैसी चीजें अब कम कीमत पर मिलेंगी।
• इलेक्ट्रॉनिक्स और घरेलू उपकरण: वॉशिंग मशीन, फ्रिज और टीवी जैसी वस्तुओं पर पहले 28% तक कर लगता था। नई व्यवस्था में इन पर अधिकतम 18% जीएसटी लागू है। यानी उपभोक्ताओं को 8–10% तक सीधा फायदा मिलेगा।
• ऑटोमोबाइल सेक्टर: छोटी और मध्यम श्रेणी की गाड़ियों पर कर दरों को कम किया गया है। पहले जहाँ इन पर औसतन 28% टैक्स लगता था, अब यह घटकर 18% रह गया है। कई कंपनियों ने कीमतों में तुरंत कटौती भी कर दी है।

पुरानी और नई दरों के बीच तुलना करने पर स्थिति स्पष्ट होती है:

  • • कपड़ों पर 12% → 5%
  • • पैकेज्ड फूड पर 12% → 5%
  • • इलेक्ट्रॉनिक्स पर 28% → 18%
  • • ऑटोमोबाइल पर 28% → 18%
  • • स्टेशनरी सामान पर 12% → 5%

इन आंकड़ों से साफ है कि उपभोक्ता को हर स्तर पर 5% से लेकर 10% तक की बचत मिलेगी।

नई जीएसटी दरों का सबसे बड़ा लाभ सीधे आम जनता को होगा। रोज़मर्रा के उपयोग की वस्तुएँ सस्ती होने से घरेलू बजट पर सकारात्मक असर पड़ेगा। मध्यम वर्ग, जिसकी आय का बड़ा हिस्सा उपभोग पर खर्च होता है, को सबसे ज्यादा राहत मिलेगी। गाँव और कस्बों के उपभोक्ताओं के लिए यह बदलाव और भी अहम साबित होगा क्योंकि अब उन्हें कपड़े, खाद्य सामग्री और घरेलू सामान पर कम कीमत चुकानी होगी।

उपभोक्ताओं के साथ-साथ उद्योग जगत भी इन बदलावों से लाभान्वित होगा। दरों में कमी से मांग बढ़ेगी, जिससे उत्पादन में तेजी आएगी। कपड़ा, एफएमसीजी, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल सेक्टर में बिक्री में उल्लेखनीय वृद्धि की संभावना है। जब मांग बढ़ेगी तो उत्पादन बढ़ेगा और इससे रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।

नई दरों से कर व्यवस्था में सरलता स्थापित होगी, नई दरें लागू होने के बाद कर प्रणाली और अधिक पारदर्शी हो गई है। व्यापारी अब आसानी से यह तय कर पाएंगे कि किसी वस्तु पर कितना कर लगेगा। छोटे दुकानदारों और खुदरा व्यापारियों के लिए यह बदलाव विशेष रूप से लाभकारी है क्योंकि उन्हें बार-बार कर स्लैब बदलने की जटिलता से छुटकारा मिल जाएगा।

सरकार का मानना है कि इन बदलावों से महंगाई पर सीधा असर पड़ेगा। जब वस्तुएँ सस्ती होंगी, तो उपभोक्ता की जेब में अधिक पैसा बचेगा और यह पैसा अन्य वस्तुओं और सेवाओं पर खर्च होगा। इसका लाभ पूरी अर्थव्यवस्था को मिलेगा।

मोदी सरकार द्वारा 22 सितंबर से लागू की गई नई जीएसटी दरें वास्तव में जनता के लिए राहत का बड़ा पैकेज हैं। कपड़े, खाद्य सामग्री, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल जैसे रोज़मर्रा और आवश्यक क्षेत्रों में कर कटौती से जनता को सीधा फायदा होगा। पहले की तुलना में अब कर संरचना अधिक सरल, पारदर्शी और उपभोक्ता हितैषी हो गई है।

इन सुधारों से न केवल महंगाई पर अंकुश लगेगा, बल्कि उद्योग जगत को भी नई ऊर्जा मिलेगी। रोजगार बढ़ेगा, उत्पादन तेज होगा और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उपभोक्ता की जेब पर बोझ कम होगा।

यह कहना उचित होगा कि 22 सितंबर से लागू हुए जीएसटी सुधार न केवल कर प्रणाली में बदलाव हैं, बल्कि ये जनता की जेब और जीवन स्तर को सीधा प्रभावित करने वाले ठोस कदम हैं। मोदी सरकार का यह प्रयास देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देने की दिशा में एक निर्णायक पहल है।

 

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