पूर्व प्रमुख का खुलासा, शिक्षा मंत्री बनने से पहले ही स्कूल नियुक्ति घोटाले में सक्रिय थे पार्थ चटर्जी

कोलकाता, 20 सितम्बर (हि.स.)। बहुचर्चित शिक्षक नियुक्ति घोटाले में एक बड़ा खुलासा सामने आया है। पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग (डब्ल्यूबीएसएससी) के पूर्व अध्यक्ष चित्तरंजन मंडल ने अपने बयान में सीबीआई को बताया है कि तृणमूल कांग्रेस के महासचिव और पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी ने शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी संभालने से पहले ही अनियमित नियुक्तियों पर दबाव डालना शुरू कर दिया था। मंडल का बयान सीबीआई की विशेष कोर्ट में भी पेश किया गया है। उसके मुताबिक वर्ष 2011 से 2013 के बीच वह आयोग के अध्यक्ष रहे। उस समय पार्थ चटर्जी उद्योग और वाणिज्य विभाग संभाल रहे थे, जबकि शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी वर्तमान मंत्री ब्रात्य बसु के पास थी। मंडल के अनुसार, बसु ने कभी भी गैरकानूनी नियुक्तियों का दबाव नहीं डाला, लेकिन चटर्जी और तत्कालीन तृणमूल महासचिव व राज्यसभा सदस्य मुकुल राय की ओर से लगातार दबाव बनाया जा रहा था। इसी कारण उन्होंने चार साल का कार्यकाल पूरा करने से पहले ही दो वर्ष छह महीने में पद छोड़ने का निर्णय लिया।

गवाही के दौरान बचाव पक्ष के वकील ने मंडल से यह भी पूछा कि क्या वह किसी राजनीतिक दल की चुनावी घोषणा-पत्र समिति से जुड़े रहे हैं। जवाब में मंडल ने स्वीकार किया कि वर्ष 2019 के आम चुनाव से पहले उन्होंने भाजपा ज्वाइन किया और 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए घोषणा-पत्र समिति के सदस्य भी बने। हालांकि, उन्होंने यह साफ किया कि नियुक्ति घोटाले से संबंधित बयान उन्होंने भाजपा में रहते हुए नहीं दिया, और उन पर किसी भी प्रकार का दबाव नहीं था।

इस मामले में गवाहों के बयान दर्ज करने की प्रक्रिया शनिवार और सोमवार को भी जारी रहेगी। इसके बाद अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलें और प्रति-दलीलें अदालत में शुरू होंगी।

सीबीआई के एक अधिकारी ने बताया है कि मंडल का बयान बेहद अहम है और इसे खास नोट के तौर पर कोर्ट में प्रस्तुत किया गया है। पूरी जांच इसी बिंदु पर केंद्रित है कि इस पूरे भ्रष्टाचार के केंद्र में पार् चटर्जी हैं।

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