नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 26 नवंबर को संविधान दिवस पर देशवासियों के नाम लिखे पत्र में कहा कि संविधान निरंतर देश के विकास का सच्चा मार्गदर्शक बना हुआ है। ये भारत के संविधान की ही शक्ति है जिसने उन जैसे गरीब परिवार से निकले साधारण व्यक्ति को प्रधानमंत्री के पद पर पहुंचाया। संविधान की वजह से उन्हें 24 वर्षों से निरंतर सरकार के मुखिया के तौर पर काम करने का अवसर मिला है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने साल 1949 में संविधान को ऐतिहासिक रूप से अपनाए जाने का स्मरण करते हुए राष्ट्र की प्रगति में इसकी स्थायी भूमिका का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि वर्ष 2015 में सरकार ने इस पवित्र दस्तावेज़ के सम्मान में 26 नवंबर को संविधान दिवस घोषित किया था।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि संविधान हमें मतदान का अधिकार दिया है। एक नागरिक के तौर पर हमारा कर्तव्य है कि मतदान का कोई अवसर छोड़े नहीं। उन्होंने स्कूलों में हर वर्ष 26 नवंबर को फर्स्ट-टाइम वोटर्स का सम्मान करने की परंपरा विकसित करने का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री ने पत्र में लिखा कि संविधान दिवस केवल उत्सव का अवसर नहीं बल्कि आत्ममंथन का भी क्षण है। इस दिन नागरिकों को यह विचार करना चाहिए कि वे राष्ट्र के प्रति अपने उत्तरदायित्वों का पालन कितनी निष्ठा से कर रहे हैं। पत्र में आग्रह किया गया है कि हर व्यक्ति लोकतंत्र को मजबूत बनाने के लिए सक्रिय और सकारात्मक भूमिका निभाए।
प्रधानमंत्री ने नागरिकों को कर्तव्य बोध कराते हुए कहा कि हमारे संविधान का आर्टिकल 51A मौलिक कर्तव्यों को समर्पित है। ये कर्तव्य हमें सामाजिक और आर्थिक प्रगति प्राप्त करने का रास्ता दिखाते हैं। महात्मा गांधी ने हमेशा नागरिकों के कर्तव्यों पर बल दिया था। वे मानते थे कि जब हम ईमानदारी से कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं, तो हमें अधिकार भी स्वत: मिल जाते हैं।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष का संविधान दिवस विशेष है क्योंकि यह सरदार पटेल और बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती, वंदे मातरम् के 150 वर्ष और गुरु तेग बहादुर की शहादत के 350 वर्ष का अवसर है। अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में संविधान पूर्ण रूप से लागू हुआ है।
प्रधानमंत्री ने संविधान सभा के सदस्यों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए डॉ. राजेंद्र प्रसाद, डॉ. बाबासाहेब भीमराव आम्बेडकर और कई प्रतिष्ठित महिला सदस्यों को याद किया, जिनकी दूरदर्शिता ने संविधान को समृद्ध बनाया। उन्होंने संविधान की 60वीं वर्षगांठ के दौरान गुजरात में आयोजित संविधान गौरव यात्रा तथा इसकी 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित संसद के विशेष सत्र और राष्ट्रव्यापी कार्यक्रमों जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का उल्लेख किया, जिनमें रिकॉर्ड जन भागीदारी देखी गई।
उन्होंने भविष्य की ओर देखते हुए कहा कि इस सदी की शुरुआत के 25 वर्ष व्यतीत हो चुके हैं और केवल दो दशकों में भारत औपनिवेशिक शासन से आजादी के 100 वर्ष पूरे कर लेगा। वर्ष 2049 में संविधान को अपनाए हुए एक सदी हो जाएगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आज लिए गए निर्णय और नीतियां आने वाली पीढ़ियों के जीवन को आकार देंगे। प्रधानमंत्री ने नागरिकों से आग्रह किया कि वे अपने कर्तव्यों को सर्वोपरि रखें, क्योंकि हमारा देश, विकसित भारत की परिकल्पना की ओर अग्रसर है।
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