कोलकाता : पश्चिम बंगाल में मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में छह दिसंबर को बाबरी मस्जिद की आधारशिला रखने के बाद तृणमूल कांग्रेस से निलंबित भरतपुर के विधायक हुमायूं कबीर ने नई राजनीतिक बहस छेड़ दी है। कबीर ने नई पार्टी बनाने की बात कही है। दूसरी ओर पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत राजधानी काेलकाता के ब्रिगेड ग्राउंड में रविवार काे पांच लाख कंठों से गीता पाठ का कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इस भव्य कार्यक्रम में कार्तिक महाराज, साध्वी ऋतंभरा, रामदेव, धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री जैसी हस्तियों के साथ-साथ भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी, शमीक भट्टाचार्य, केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार भी मौजूद रहे। गीता पाठ को लेकर भी राजनीति के मैदान में पारा चढ़ता रहा। गीता पाठ के कार्यक्रम में पहुंचकर बंगाल भाजपा के पूर्व राज्य अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने हुमायूं की बाबरी मस्जिद को लेकर तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी पर कटाक्ष किया।
केंद्रीय मंत्री सुकांत मजूमदार ने साफ कहा कि हमने कल जो देखा, उससे साफ पता चलता है कि हिंदू वोट को बांटने और मुस्लिम वोट को एक करने की साजिश चल रही है। जो कुछ हो रहा है, उसके लिए ममता बनर्जी जिम्मेदार हैं। उन्होंने इस तरह की सांप्रदायिक ताकतों को बार-बार बढ़ावा दिया है और उन्हें ऊपर उठाया है। 2021 के चुनाव में ममता बनर्जी को बहुसंख्यक हिंदू वोट नहीं मिला था। हिंदू ममता बनर्जी पर विश्वास नहीं करते।
हालांकि, सुकांत ने कहा कि चुनाव का गीता पाठ से कोई सीधा संबंध नहीं है। गीता पाठ हिंदुओं का कार्यक्रम है। राजनीति राजनीति की तरह रहेगी, गीता तो शाश्वत है।
यह पूरा घटनाक्रम बंगाल की राजनीति में नए समीकरण बना रहा है। एक ओर जहां हुमायूं कबीर बाबरी मस्जिद की आधारशिला रखकर विवाद में हैं, वहीं दूसरी ओर गीता पाठ के इस विशाल आयोजन को भी राजनीतिक चश्मे से देखा जा रहा है। आने वाले चुनावों को ध्यान में रखते हुए दोनों ही घटनाएं बंगाल की राजनीति में महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि धार्मिक मुद्दों को लेकर यह राजनीतिक खींचतान राज्य में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का कारण बन सकती है, जो बंगाल की सामाजिक सद्भाव के लिए
चुनौती है।
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