आपको बता दें कि देश में पहली बार शुक्रवार से हरियाणा समेत अन्य राज्यों के किसान 10 दिन की छुट्टी पर जा रहे हैं। किसान एक से 10 जून तक शहरों में फल-सब्जियों और दूध की सप्लाई नहीं करेंगे। किसानों ने इन 10 दिनों में शहर की दुकानों, शोरूम और सुपर बाजार का रुख नहीं करने का भी अहम निर्णय लिया है। अगर शहरी लोगों को फल-दूध या सब्जी चाहिए तो उन्हें गांवों का रुख करना पड़ेगा। दाम भी किसान ही तय करेंगे। किसान यह सब केंद्र व राज्य सरकारों की नीतियों के विरोध में कर रहे हैं।

राष्ट्रीय किसान महासंघ के प्रतिनिधियों ने एक से 10 जून तक शहरों में दूध व फल-सब्जियों की आपूर्ति नहीं होने देने की रणनीति बनाई है। राष्ट्रीय किसान महासंघ के वरिष्ठ सदस्य व भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश प्रधान गुरनाम सिंह चढूनी और प्रदेश प्रवक्ता राकेश कुमार ने बताया कि स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू नहीं करने व कर्ज माफी नहीं होने पर किसानों को यह कदम उठाना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि 62 किसान संगठनों ने इस दौरान गांवों से शहरों को खाद्य पदार्थो की सप्लाई नहीं होने देने की पूरी रणनीति बना ली है।

गुरनाम चढूनी और राकेश कुमार ने साफ किया कि इस बंद में वह कोई रोड जाम नहीं करेंगे। किसान अपने घर और गांव में बैठकर शहर और सरकार को अपना दर्द समझाएंगे। आंदोलन के दौरान किसान आढ़तियों से भी पूरी तरह दूरी बनाकर रखेंगे। किसानों द्वारा एक दूसरे से उधार लेकर 10 दिन तक आर्थिक लेन-देन किया जाएगा।