शुक्रवार को विधानसभा की कार्यवाही के दौरान 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों को लेकर प्रस्ताव आया था

एक ओर जहां लोकसभा चुनाव 2019 के मद्देनजर राजनीतिक गलियारों में आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस में गठबंधन की चर्चा है, वहीं शुक्रवार को दिल्ली विधानसभा में भूतपूर्व पीएम राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने के कथित प्रस्ताव पर AAP में ही विवाद पैदा हो गया है। ऐसे में जहां नाराज कांग्रेस पार्टी हमलावर है, तो विपक्ष दल भारतीय जनता पार्टी इस पूरे विवाद पर कटाक्ष कर रही है। इस बीच अब इस मामले में दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष राम निवास गोयल की सफाई आई है।

उन्होंने कहा कि शुक्रवार को विधानसभा की कार्यवाही के दौरान 1984 में हुए सिख विरोधी दंगों को लेकर एक प्रस्ताव आया था। सदन में लाए गए वास्तविक प्रस्ताव में राजीव गांधी का कोई जिक्र नहीं था, बल्कि राजीव गांधी का जिक्र AAP विधायक जरनैल सिंह ने अपने भाषण में किया था। यह एक भावनात्मक मुद्दा है। 

अलका लांबा पड़ीं अकेली

बताया जा रहा है कि इस प्रस्ताव को सोशल मीडिया पर फैलाने वाली चांदनी चौक सीट से AAP विधायक अलका लांबा की आम आदमी पार्टी से ही छुट्टी कर दी गई है। उनसे विधानसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा ले लिया है, विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने इस बात से इनकार किया है।

वहीं, अलका लांबा ने शुक्रवार को ही ट्वीट कर इस पर अपनी बात रखी थी। ट्वीट में लिखा था- ‘आज दिल्ली विधानसभा में प्रस्ताव लाया गया की पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री राजीव गांधी जी को दिया गया भारत रत्न वापस लिया जाना चाहिये, मुझे मेरे भाषण में इसका समर्थन करने को कहा गया,जो मुझे मंजूर नही था,मैंने सदन से वॉक आउट किया। अब इसकी जो सज़ा मिलेगी,मैं उसके लिये तैयार हूं।’

वहीं, कहा तो यहां तक जा रहा है कि इस मामले में सोमनाथ भारती को भी पार्टी के प्रवक्ता पद से हटा दिया गया है। बता दें कि AAP विधायक सोमनाथ भारती ने दावा किया था कि उन्होंने ही यह प्रस्ताव दिया था।

यह अलग बात है कि पार्टी इस बयान पर कायम है कि मूल प्रस्ताव में राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने की बात शामिल ही नहीं थी। इसे हाथ से जोड़ा गया। शनिवार को विस अध्यक्ष रामनिवास गोयल ने भी यही बात कही है। 

इस तरह का कोई प्रस्ताव सदन से पारित नहीं हुआ

AAP का साफ कहना है कि शुक्रवार को सदन में इस तरह का कोई प्रस्ताव पारित नहीं हुआ है। इसे लेकर AAP विधायक और प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने भी कहा है कि ये प्रस्ताव का हिस्सा नहीं था। संबंधित विधायक ने अपनी राइटिंग में लिखा, जिसे इस तरह से पास नहीं माना जा सकता। यह व्यक्तिगत तौर पर पेश किया गया प्रस्ताव था, जिसपर अभी कोई फैसला नहीं हुआ है।

वहीं, इस पर दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने कहा- ‘राजीव गांधी ने देश के लिए अपनी जान दी। AAP का असली चेहरा सामने आ गया है। मैंने हमेशा माना है कि AAP भाजपा की बी टीम है। आप ने गोवा, पंजाब, मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात, छत्तीसगढ़ में अपने उम्मीदवार उतारे ताकि भाजपा की मदद हो सके और कांग्रेस का वोट कटे।’

हरियाणा के मंत्री अनिल विज ने भी 17 दिसंबर को ट्वीट किया था- राजीव गांधी के सभी अलंकार वापस ले लिए जाने चाहिए और उनके नाम से चल रही सभी योजनाओं तथा प्रकल्पों से राजीव गांधी का नाम मिटा देना चाहिए। जब तक उन सबको सजा न मिले जो इसमें शामिल थे या जिन्होंने इस नरसंहार का समर्थन किया चाहे फिर राजीव हों जिन्होंने इस नरसंहार का यह कहकर समर्थन किया हो कि जब कोई बड़ा पेड़ गिरता है तो धरती हिलती है, उन्हें भी मरणोपरांत सजा दी जानी चाहिए।

सदन में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने AAP और कांग्रेस दोनों पर तंज कसते हुए कहा कि राजीव गांधी से भारत रत्न लेने के प्रस्वाव पर AAP नेताओं में मतभेद का मामला है। कुछ AAP नेता प्रस्ताव में थे, तो कुछ विरोध में। दरअसल, आप नेतृत्व कांग्रेस के निर्देशन में काम कर रहा है और लोगों को भटका रहे हैं।

पूरा विवाद शनिवार भी गरमाया हुआ है। सीएम अरविंद केजरीवाल कुछ भी बोलने से बचते दिखाई दे रहे हैं। शनिवार को सुबह इस बाबत मीडिया के सवालों से बचते हुए वह इस मसले पर बिना कुछ बोले ही चले गए। इस बीच पार्टी से इस्तीफा देने वाली अलका लांबा ने एक बार फिर आरोप लगाया है कि पार्टी ने उन्हें अपने भाषण में राजीव गांधी से भारत रत्न वापस लेने के प्रस्ताव का समर्थन करने को कहा था।

अलका लांबा ने इस संबंध में ट्वीट किया था। शनिवार को एक बार फिर से अपनी बात को दोहराते हुए अलका लांबा ने कहा, ‘सदन में सबके भाषण का वीडियो है। इसमें देखा जा सकता है कि जब वह प्रस्ताव पास किया जा रहा था, मैं उस समय सदन में थी। लांबा ने कहा कि प्रस्ताव की कॉपी मुझे मिली थी, जिसमें राजीव गांधी का नाम लिखा हुआ था।’

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