दो बार बचाया, लेकिन बेटा बाज न आया आैर हार गई बेबस मां

यह बेबस मां आखिरकार हार गई। वैसे, मां कभी हारती नहीं, लेकिन नशे के सौदागर मां की ममता पर भी भारी पड़े। इस मां ने नशे के चंगुल में फंसे इकलाैते के बेटे को बचाने के लिए काफी जद्दोजिहद की, ले‍किन बचा नहीं सकी। जंडियाला गुरु के गहरी मंडी इलाके में रहने वाली मोनिका रानी ने प‍ति को पहले ख‍ो दिया था और बेटा हिमांशु भी नशा सौदागरों के चक्‍कर में पड़ गया। मां ने दो बार इलाज करा कर उसे ठीक कर लिया, लेकिन नशे के कारोबारियों ने उसका पीछा नहीं छोड़ा अौर अाखिर मां की उम्‍मीदों का चिराग बुझ गया।यह बेबस मां आखिरकार हार गई। वैसे, मां कभी हारती नहीं, लेकिन नशे के सौदागर मां की ममता पर भी भारी पड़े। इस मां ने नशे के चंगुल में फंसे इकलाैते के बेटे को बचाने के लिए काफी जद्दोजिहद की, ले‍किन बचा नहीं सकी। जंडियाला गुरु के गहरी मंडी इलाके में रहने वाली मोनिका रानी ने प‍ति को पहले ख‍ो दिया था और बेटा हिमांशु भी नशा सौदागरों के चक्‍कर में पड़ गया। मां ने दो बार इलाज करा कर उसे ठीक कर लिया, लेकिन नशे के कारोबारियों ने उसका पीछा नहीं छोड़ा अौर अाखिर मां की उम्‍मीदों का चिराग बुझ गया।   मोनिका को लगा कि उसके कलेजे का टुकड़ा अब नशे के दलदल से निेकल चुका है, लेकिन बेटे के बेजान पड़े शरीर को देख टूट गई। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि पति राजिंदर टांगरी की मौत के कुछ समय बाद ही उसे बेटे की चिता देखनी पड़ सकती है। मां ने बेटे को ठीक करने के लिए उसे दो बार नशा छुड़ाओ केंद्र में इलाज करवाया था। दोनों बार वह नशा छोड़कर निरोग होकर घर पहुंचा, लेकिन वह जहां काम करने के लिए पहुंचता,वहां नशे के चंगुल में फंस जाता।   23 वर्ष बाद मां से मिला बेटा, आंसुओं से भीगा दामन यह भी पढ़ें   हिमांशु की फाइल फोटो।   जीना इसी का नाम है: आंखों में नहीं नूर तो क्या, हैं कोहिनूर यह भी पढ़ें मोनिका रानी ने बताया कि कुछ साल पहले उसके पति राजिंदर टांगरी की मौत हो गई थी। घर चलाने के लिए बेटे हिमांशु टांगरी ने खाद की दुकान पर काम करना शुरू कर दिया। वहां काला नाम के करियाने वाले ने उसे नशे की दवाओं की लत लगा दी। बेटा ज्यादातर नशे की हालत में रहने लगा। जब उन्हें इस बाबत पता चला तो वह पति के बाद किसी भी कीमत पर हिमांशु को नहीं गंवाना चाहती थी। उसने किसी तरह से अमृतसर के एक नशा छुड़ाओ केंद्र में बेटे का इलाज करवाया। बेटा वहां से ठीक होकर घर लौटा।

मोनिका को लगा कि उसके कलेजे का टुकड़ा अब नशे के दलदल से निेकल चुका है, लेकिन बेटे के बेजान पड़े शरीर को देख टूट गई। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि पति राजिंदर टांगरी की मौत के कुछ समय बाद ही उसे बेटे की चिता देखनी पड़ सकती है। मां ने बेटे को ठीक करने के लिए उसे दो बार नशा छुड़ाओ केंद्र में इलाज करवाया था। दोनों बार वह नशा छोड़कर निरोग होकर घर पहुंचा, लेकिन वह जहां काम करने के लिए पहुंचता,वहां नशे के चंगुल में फंस जाता।

मोनिका रानी ने बताया कि कुछ साल पहले उसके पति राजिंदर टांगरी की मौत हो गई थी। घर चलाने के लिए बेटे हिमांशु टांगरी ने खाद की दुकान पर काम करना शुरू कर दिया। वहां काला नाम के करियाने वाले ने उसे नशे की दवाओं की लत लगा दी। बेटा ज्यादातर नशे की हालत में रहने लगा। जब उन्हें इस बाबत पता चला तो वह पति के बाद किसी भी कीमत पर हिमांशु को नहीं गंवाना चाहती थी। उसने किसी तरह से अमृतसर के एक नशा छुड़ाओ केंद्र में बेटे का इलाज करवाया। बेटा वहां से ठीक होकर घर लौटा।

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