पांच दिवसीय दीपोत्सव महापर्व धनतेरस के साथ आज से शुरू हो रहा है। दिवाली से दो दिन पूर्व कार्तिक मास की त्रयोदशी को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार धनतेरस पर नई वस्तु खरीदने का विशेष महत्व है।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार धनतेरस पर भगवान धनवंतरि, कुबेर व यमराज की पूजा होती है। इस दिन आटे का दीपक जलाकर देवताओं की आराधना करने से कृपा बरसती है। इसके बाद नरक चौदस, छोटी दीपावली, महालक्ष्मी पूजन, गोवर्धन पूजन और भाईदूज के साथ महापर्व का समापन होगा।
सोरों के पंडित रामखिलावन शास्त्री का कहना है कि धन त्रयोदशी पर एक बर्तन में अन्न रखें और उस पर आटे का दीपक बनाकर तेल या घी से जलाएं। यह दीपक घर की दक्षिण दिशा में रखें। क्योंकि दक्षिण दिशा के स्वामी यमराज हैं और यह दिशा पितरों की मानी गई है।
इस दिन भगवान धनवंतरि और कुबेर की पूजा करें। इस दिन चांदी या किसी धातु के बर्तन को खरीदना शुभ रहता है। मिट्टी की बनी हुई मां-लक्ष्मी की दीपों की मूर्ति खरीदें। इस दिन झाड़ू की पूजा भी शुभ मानी गई है।
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