उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती किसान बिल पारित होने के दौरान संसद खासकर राज्यसभा में विपक्षी नेताओं के व्यवहार से नाराज है। हाल ही में उन्होंने सोशल मीडिया पर एक ट्वीट किया है जिसमे उन्होंने लिखा है कि ‘वैसे तो संसद लोकतंत्र का मन्दिर ही कहलाता है फिर भी इसकी मर्यादा अनेकों बार तार-तार हुई है। वर्तमान संसद सत्र के दौरान भी सदन में सरकार की कार्यशैली व विपक्ष का जो व्यवहार देखने को मिला है वह संसद की मर्यादा, संविधान की गरिमा व लोकतंत्र को शर्मसार करने वाला।।।अति-दुःखद।’

जी दरअसल उन्होंने अपने ट्वीट में संसद को लोकतंत्र का मन्दिर कहा है। उनके अनुसार मंदिर में भी मर्यादा का ध्यान नहीं रखा गया और उसे अनेकों बार तार-तार किया गया है। वैसे उनके इस बयान का कारण बीते रविवार का दिन है। जी दरअसल बीते रविवार (20 सितंबर) को राज्यसभा में किसान बिल पारित कराने के दौरान विपक्षी सांसदों ने काफी शोर-शराबा और हंगामा किया था। उस दौरान टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने तो हद ही पास कर दी थी। उन्होंने उप सभापति के आसान के पास जाकर रूल बुक तक फाड़ दी थी। वहीं इसी घटना के बाद से सदन सुचारू रूप से नहीं चल सका है।
वैसे तो संसद लोकतंत्र का मन्दिर ही कहलाता है फिर भी इसकी मर्यादा अनेकों बार तार-तार हुई है। वर्तमान संसद सत्र के दौरान भी सदन में सरकार की कार्यशैली व विपक्ष का जो व्यवहार देखने को मिला है वह संसद की मर्यादा, संविधान की गरिमा व लोकतंत्र को शर्मसार करने वाला है। अति-दुःखद।
— Mayawati (@Mayawati) September 23, 2020
बीते मंगलवार को सरकार ने सात विधेयक उच्च सदन से पास करवाए हैं और विपक्षी सांसदों का कहना है कि अगर नए कृषि विधेयकों पर उनकी तीन मांगें केंद्र सरकार द्वारा पूरी नहीं की जाती हैं तो वह संयुक्त रूप से सत्र का बहिष्कार करेंगे। वहीं राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि ‘जब तक विपक्ष की मांगें पूरी नहीं होंगी, वो सत्र का बहिष्कार करेंगे।’ इसके अलावा भी उन्होंने बहुत कुछ कहा।
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