उत्तराखंड

परिवहन विभाग में है अधिकारियों का टोटा, कैसे सुधरेगी व्यवस्था

परिवहन विभाग में इस समय अधिकारियों का टोटा चल रहा है। संभागीय परिवहन कार्यालयों में आरटीओ व एआरटीओ के पदों को व्यवस्था के आधार पर चलाया जा रहा है। स्थिति यह है कि सड़क दुर्घटनाओं के लिहाज से संवेदनशील पौड़ी में फिलहाल कोई आरटीओ नहीं है। जिस आरटीओ का यहां तबादला किया गया है, उन्होंने अभी तक यहां ज्वाइनिंग नहीं दी है। वहीं नैनीताल के आरटीओ अल्मोड़ा की भी दोहरी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। बात करें परिवहन मुख्यालय की तो यहां फिलहाल उप परिवहन आयुक्त के तीन पद हैं और तीनों रिक्त चल रहे हैं। विभाग में सबसे अधिक काम फील्ड यानी प्रवर्तन का है लेकिन स्थिति यह कि एआरटीओ प्रवर्तन के स्थान पर की बजाय एआरटीओ प्रशासन के पदों को ही भरने पर जोर है। उत्तराखंड में लगातार बढ़ रही सड़क दुर्घटनाओं के मद्देनजर इस समय केंद्र के साथ ही सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट की नजरें प्रदेश सरकारों पर हैं। उत्तराखंड में हाईकोर्ट ने परिवहन विभाग को बाकायदा सड़क दुर्घटनाओं पर रोकथाम के लिए एक गाईडलाइन भी जारी की हुई है। इन दिनों इस गाइडलाइन के अनुसार किसी तरह काम किया जा रहा है, जबकि इन्हें धरातल पर उतारने के लिए संभागीय स्तर से सख्त निगरानी की आवश्यकता है। दरअसल, देखा जाए तो परिवहन विभाग के प्रदेश में चार संभाग हैं। इनमें देहरादून, पौड़ी, नैनीताल और अल्मोड़ा शामिल हैं। सोशल ऑडिट शुरू होते ही गायब हो रहे हैं चाइल्ड केयर एनजीओ यह भी पढ़ें तबादला सत्र के दौरान शासन ने देहरादून और पौड़ी के आरटीओ का आपस में तबादला कर दिया था। इसे नियमविरुद्ध बताते हुए एसके गर्ग ने पौड़ी में ज्वाइनिंग न देते हुए कोर्ट की शरण ली। वहीं, डीसी पठोई ने तुरंत आरटीओ देहरादून का चार्ज संभाल लिया। अब आरटीओ सुधांशु गर्ग हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट से भी निराश हो चुके हैं लेकिन वह अब अवकाश पर चल रहे हैं। इससे पौड़ी आरटीओ का पद खाली चल रहा है। व्यवस्था के तौर पर एआरटीओ ही यह जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। ऐसा ही हाल अल्मोड़ा का भी है। यहां लंबे समय से किसी आरटीओ की तैनाती नहीं हुई है। इसका एक कारण यह है कि विभाग में फिलहाल आरटीओ के पांच पदों के सापेक्ष चार आरटीओ हैं। आरटीओ का पांचवा पद परिवहन मुख्यालय में हैं। यहां सहायक आयुक्त एसके सिंह ही इस जिम्मेदारी को देख रहे हैं। अब बात करें उप परिवहन आयुक्त के पदों की, तो प्रदेश में इनके तीन पद हैं। दो अधिकारी इस पद के पात्र हो चुके हैं लेकिन शासन स्तर से इन पर कोई डीपीसी नहीं हो पाई है। ऐसे में चुनिंदा अधिकारियों पर व्यवस्था चलाने की सारी जिम्मेदारी आ गई है।

परिवहन विभाग में इस समय अधिकारियों का टोटा चल रहा है। संभागीय परिवहन कार्यालयों में आरटीओ व एआरटीओ के पदों को व्यवस्था के आधार पर चलाया जा रहा है। स्थिति यह है कि सड़क दुर्घटनाओं के लिहाज से संवेदनशील पौड़ी …

Read More »

यहां एक साल के अंदर सभी सड़कें सीसीटीवी से होंगी लैस, जानिए

माय सिटी माय प्राइड में सिक्योरिटी भी एक पिलर है। इसकी अहमियत देखते हुए शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने कहा कि शहर की सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता बनाने के लिए सीसीटीवी कैमरों का जाल बिछाया जाएगा। एक साल के …

Read More »

यूटीयू यौन शोषण मामला : एक माह से टीचर कर रहा था शोषण छात्राओं ने सुनाई आपबीती

देहरादून के यूटीयू में सामने आए यौन शोषण मामले में तीनों छात्राओं ने जांच समिति के सामने आपबीती सुनाई। जांच समिति ने छात्राओं का पूरा पक्ष सुना। दूसरी ओर, आरोपी शिक्षक भी अपने परिवार के साथ जांच समिति के सामने …

Read More »

उत्तराखंड में 877.65 करोड़ का गड़बड़झाला, कैग की रिपोर्ट में खुलासा

भारत के महानियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने उत्तराखंड में विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन और विभागीय कार्यों में 877.65 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितता पकड़ी है। यह गड़बड़झाला वित्तीय वर्ष 2012-13 से लेकर वर्ष 2016-17 के बीच किए गए कार्यों का …

Read More »

पर्वतारोही जुड़वा बहनें दून में आयोजित करेंगी बेस कैंप फेस्टिवल इंडिया

 माउंट एवरेस्ट सहितब दुनिया के सात सर्वोच्च शिखरों को फतह करने वाली पर्वतारोही जुड़वा बहनों नुंग्शी व ताशी मलिक ने बताया कि उनकी द्वारा संचालित नुंग्‍शी ताशी फाउंडेशन की ओर से 25 अक्‍टूबर से देहरादून में बेस कैंप फेस्टिवल इंडिया …

Read More »

देहरादून: हॉस्टल में 10वीं की छात्रा के साथ गैंगरेप, गर्भवती होने पर हुआ खुलासा, नौ लोग गिरफ्तार

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से एक शर्मनाक मामला सामने आया है. घटना जिले के सहसपुर क्षेत्र की है, जहां एक हॉस्टल में दसवीं की छात्रा के साथ गैंगरेप का मामला सामने आया है. निजी आवासीय विद्यालय परिसर में चार छात्रों द्वारा एक नाबालिग छात्रा …

Read More »

अमेरिकी व भारतीय सैन्य विशेषज्ञों ने साझा की अत्याधुनिक हथियारों की तकनीक

भारत व अमेरिका का संयुक्त सैन्य युद्ध अभ्यास अब चरम की ओर बढ़ गया है। दूसरे चरण में अमेरिकी व भारतीय सैन्य विशेषज्ञों ने अत्याधुनिक हथियारों के संचालन की तकनीक साझा की। आतंकवादियों से काफी करीब से मुठभेड़ या जमीनी …

Read More »

जलवायु परिवर्तन के संकट से जूझ रहा हिमालय, गड़बड़ा गया है वर्षा का चक्र

हिमालय दिवस पर दून में विभिन्न संगठनों ने हिमालय की सुरक्षा पर मंथन किया और इसके संभावित खतरों पर चर्चा करते हुए संरक्षण की राह भी सुझाई। रविवार को जोगीवाला चौक के पास स्थित एक स्कूल में उत्तरांचल उत्थान परिषद …

Read More »

उत्‍तराखंड में भारी बारिश के आसार, जिलाधिकारियों को जारी किया अलर्ट

मौसम विभाग के पूर्वानुमान के उलट रविवार को गढ़वाल से लेकर कुमाऊं मंडल तक धूप खिली रही। हालांकि बदरीनाथ हाईवे लामबगड़ में मलबा आने से बंद रहा। यात्री तीन किलोमीटर की दूर तय कर पैदल ही भूस्खलन जोन को पार …

Read More »

महंगे नहीं मोटे अनाज से बनती है सेहत, जानिए कैसे

बदली परिस्थितियों में जमीन 'जहरीली' हो रही तो फसलें भी। रासायनिक उर्वरकों के बेतहाशा उपयोग ने खेती की जो दुर्दशा की है, उससे सभी विज्ञ हैं। हालांकि, जो पैदावार हो रही, वह मात्रात्मक रूप में अधिक जरूर है, मगर गुणवत्ता में बेदम। सूरतेहाल, ऐसा अन्न खाने से सेहत पर असर तो पड़ेगा ही और यही मौजूदा दौर की सबसे बड़ी चिंता भी है। इस सबको देखते हुए थाली में बदलाव व विविधता लाना समय की मांग है। इस लिहाज से देखें तो उत्तराखंड की 'बारानाजा' फसलें इसी बदलाव का प्रतिबिंब हैं, जो पौष्टिकता के साथ औषधीय गुणों से भी लबरेज हैं। कृषि पैदावार बढ़ाने को जिस तरह रासायनिक उर्वरकों का उपयोग हो रहा है, उससे भूमि की उर्वरा शक्ति पर असर पड़ा तो फसलों पर भी। परिणाम तमाम रोगों के तौर पर सामने आ रहा है। ऐसे में पौष्टिक और औषधीय गुणों से लबरेज अन्न मिल जाए तो कहने ही क्या। उत्तराखंड की 'बारानाजा' फसल पद्धति में वह सब मिलता है, जिसकी आज दरकार है। भले ही यहां के पहाड़ी क्षेत्र में सदियों से चलन में मौजूद इस पद्धति से पैदावार कम हो, लेकिन पौष्टिकता के मामले में इनका कोई सानी नहीं है। –– ADVERTISEMENT –– यहां दस घंटे बंद रही लाइफ लाइन, गाड़ियों में बिताई रात यह भी पढ़ें यह है बारानाजा पद्धति विषम भूगोल वाले उत्तराखंड की जलवायु और भौगोलिक स्थितियों को देखते हुए पहाड़ी क्षेत्र के लोगों ने सदियों पहले गेहूं एवं धान की मुख्य फसल के साथ ही विविधताभरी बारानाजा पद्धति को महत्व दिया। मंडुवा व झंगोरा बारानाजा परिवार के मुख्य सदस्य हैं। इसके अलावा ज्वार, चौलाई, भट्ट, तिल, राजमा, उड़़द, गहथ, नौरंगी, कुट्टू, लोबिया, तोर आदि इसकी सहयोगी फसलें हैं। दूसरे शब्दों में कहें तो बारानाजा मिश्रित खेती का श्रेष्ठ उदाहरण है और यह फसलें पूरी तरह से जैविक भी हैं। इसमें एक साथ बारह फसलें उगाकर पौष्टिक भोजन की जरूरत पूरी करने के साथ ही भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाए रखने की क्षमता भी है।

बदली परिस्थितियों में जमीन ‘जहरीली’ हो रही तो फसलें भी। रासायनिक उर्वरकों के बेतहाशा उपयोग ने खेती की जो दुर्दशा की है, उससे सभी विज्ञ हैं। हालांकि, जो पैदावार हो रही, वह मात्रात्मक रूप में अधिक जरूर है, मगर गुणवत्ता …

Read More »

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com