पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने कहा है कि पाक-अमेरिकी संबंधों को भारत या अफगानिस्तान के नजरिये से नहीं देना जाना चाहिए.
कुरैशी शनिवार को अमेरिका के 10 दिने के दौरे के बाद स्वदेश लौटे. पाकिस्तानी अखबार द डॉन की खबर के मुताबिक, उन्होंने शनिवार को मुल्तान में कहा कि यह उम्मीद करना गलत होगा कि अमेरिका और पाकिस्तान के बीच मतभेदों को एक दिन में सुलझाया जा सकता है.
कुरैशी ने कहा कि क्षेत्रीय हालात बदलते हैं और जरूरतें भी बदलती हैं लेकिन क्षेत्रीय शांति और स्थिरता में पाकिस्तान के योगदान को स्वीकार किया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह सही नहीं होगा कि हमारे (अमेरिका-पाकिस्तान) संबंधों को सात दशक पीछे जाकर अफगानिस्तान या भारतीय चश्मे से देखा जाए. विदेश मंत्री ने कहा कि उन्होंने अमेरिकी प्रशासन को यह समझाने की कोशिश की है.
अपने 10 दिन के दौरे में कुरैशी ने वॉशिंगटन में अमेरिकी समकक्ष माइक पोंपियो और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जॉन बोल्टन से मुलाकात की. कुरैशी ने कहा कि महज एक दौरे में पाकिस्तान और अमेरिकी के बीच मतभेदों को सुलझाने की आशा करना बेमानी होगी.
कुरैशी ने साफ कर दिया कि वे अमेरिका न तो आर्थिक मदद के लिए गए थे और न ही उनकी वार्ता में इस मुद्दे को शामिल किया गया. कुरैशी के मुताबिक, इस साल शुरू में वॉशिंगटन ने जो फंड रद्द किया, वह रीम्बर्समेंट था न कि आर्थिक मदद. कुरैशी ने अंत में कहा कि पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी ने पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के खिलाफ केस नहीं चलाया बल्कि कोर्ट ने चलाया है, इसलिए अदालत के फैसले का सम्मान करना चाहिए.
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