आज भी हमारे हिंदू धर्म में मेहमानों को भगवान का दर्जा दिया जाता है, इसलिए कहा जाता है कि घर के द्वार पर आए अतिथियों का आदर सत्कार करना चाहिए और उन्हें भोजन कराकर विदा करना चाहिए।
इसके अलावा हिंदू धर्म में कई ऐसे काम बताए गए हैं जिन्हें करने से इंसान पुण्य का भागीदार बनता है।
आचार्य राजीव शुक्ला बताते है की महाभारत की नीति के अनुसार इन्हीं कामों में से एक काम है लोगों को भोजन कराना, इसमें भी ऐसे पांच लोग शामिल हैं जिन्हें भोजन अवश्य कराना चाहिए, क्योंकि इन्हें खाना खिलाने से पुण्य मिलता है और साथ भगवान की कृपा भी प्राप्त होती है।
1- भगवान को लगाएं भोग
आज भी लोग सुबह नहा धोकर सबसे पहले भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं फिर अपने दूसरे कामों में जुट जाते है। लेकिन इसके साथ ही भगवान को हर रोज खाने से पहले भोग लगाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि खुद खाना खाने से पहले अगर भगवान को भोग लगाया जाता है तो घर-परिवार में हमेशा भगवान की कृपा बनी रहती है।
2- पितरों को भोजन अर्पित करें
हमारे घर परिवार के दिवंगत पूर्वजों यानि पितरों को भी भगवान के बराबर का ही दर्जा दिया गया है। इसलिए पितृ पक्ष के दौरान पितरों के निमित्त भोजन अर्पित करके ब्राह्मणों को भोजन करना चाहिए। ऐसा करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और परिवार के सदस्यों पर हमेशा उनकी कृपा बनी रहती है।
3- ब्राह्मणों को कराएं भोजन
ब्राह्मणों को भोजन कराना बेहद शुभ और पुण्य का काम माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति नियमित रुप से ब्राह्मणों को भोजन कराता है उसके जीवन के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
4- मेहमानों को कराएं भोजन
घर में आनेवाले मेहमानों को भगवान का रुप माना जाता है। इसलिए घर में आए हुए मेहमानों का दिल से स्वागत और सत्कार किया जाना चाहिए। घर पर आए हुए मेहमानों को बिना भोजन कराए विदा नहीं करना चाहिए।
5- गरीबों को कराएं भोजन
जो लोग भूखे, गरीब और बेसहरा होते हैं उन लोगों को भोजन अवश्य कराना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि गरीब और बेसहारा लोगों को खाना खिलाना मतलब भगवान को भोजन कराना होता है। इसलिए गरीब और असहाय लोगों को भोजन जरूर कराना चाहिए इससे पुण्य मिलता है।
आचार्य राजीव शुक्ला बताते है की शास्त्रों के अनुसार इन 5 लोगों को खाना खिलाने से पुण्य मिलता है और व्यक्ति के जीवन के पाप नष्ट होते हैं। इतना ही नहीं दूसरों को भोजन कराकर मन को भी खुशी मिलती है। इसलिए महाभारत की नीति में बताए गए इन पांच लोगों को नियमित रुप से भोजन अवश्य कराएं।
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