तिरुवनंतपुरम: केरल के कोट्टायम में 63 साल की स्वर्णम्मा रहती हैं। विधवा हैं। पूरा जीवन किराए के घर में रहीं। एक दिन जिला प्रशासन की टीम घर पहुंची। 10 लाख रुपए दिए, ताकि वो घर बनाएं और बचत करें। स्वर्णम्मा ने 6 लाख रु. में 3 सेंट (1306 वर्ग फीट) जमीन खरीदी। जिस पर अब घर बन रहा है। स्वर्णम्मा जैसे केरल में 64 हजार परिवारों के 1.03 लाख लोग और हैं, जिन्होंने अत्यंत गरीबी में जीवन गुजारा। अब उनकी जिंदगी बदल गई है।
सरकार और सामाजिक भागीदारी से केरल एक बार फिर देश के लिए रोल मॉडल बनने जा रहा है। इस राज्य ने अपने यहां से ‘अत्यंत गरीबी’ खत्म कर दी है। इसकी आधिकारिक घोषणा एक नवंबर को होगी। इसी के साथ केरल ऐसा करने वाला देश और दक्षिण एशिया का भी पहला राज्य होगा।
मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र के अनुसार जिनकी आय 158.10 रु. प्रतिदिन से कम है, वो अत्यंत गरीब की कैटेगरी में आते हैं। केरल ने इस मानक से आगे भोजन, आय, स्वास्थ्य और आवास को आधार बनाया और इसे ‘मानवीय गरिमा’ नाम दिया। इसमें सामाजिक संगठनों की मदद अभूतपूर्व रही।
केरल में 73 हजार माइक्रो प्लान बनाए, उन्हें उनकी जरूरत के अनुसार मदद की। इसकी सख्त मॉनिटरिंग की। हर पैसे और मदद का हिसाब लिया गया।
केरल को अत्यंत गरीबी से बाहर निकालने की शुरुआत 2021 में हुई। राज्य सरकार ने 1300 सर्वेयर की टीम 14 जिलों में उतारीं। जिनके पास भोजन, स्वास्थ्य, आय और आवास नहीं थे, उन्हें चुनने का टास्क दिया गया।
वार्डों/डिवीजनों से भागीदारी नामांकन, उप-समितियों द्वारा शॉर्ट लिस्टिंग, एक मोबाइल एप का इस्तेमाल करके साक्षात्कार और ग्राम सभाओं द्वारा अंत तक अंतिम सत्यापन किया गया।
टीमों ने ग्राम सभाओं, फोकस ग्रुप डिस्कशन में ऐसे 1,03,099 लोगों को खोज निकाला। 81% ग्रामीण इलाकों में रहते थे। 68% अकेले जी रहे थे। 24% को स्वास्थ्य समस्याएं, 21% को भोजन और 15% को घर की कमी थी।
सख्त निगरानी के साथ सामाजिक ऑडिट शुरू हुआ। इसके बाद 73 हजार माइक्रो प्लान बनाए। शुरुआत कोट्टायम जिले के 978 माइक्रो प्लान से की।
इससे 4394 परिवारों को आय का साधन, 29427 को दवाएं, 4829 को मेडिकल मदद, 424 को हेल्थकेयर उपकरण, 5354 के घर सुधरवाए, 3913 को घर दिए। 1338 को जमीन। 743 परिवारों को किराए के घरों में शिफ्ट किया।