लखनऊ : सेना के अफसरों की प्रमोशन में मनमानी के खिलाफ नायक विजय कुमार ने सेना कोर्ट लखनऊ में मुकदमा दायर किया मामले की सुनवाई करते हुए सेना कोर्ट की डिवीजन बेंच ने रक्षा सचिव को जवाब दाखिल करने का आदेश जारी करते हुए चीफ रिकार्ड अफसर कर्नल ए.के. करमाकर, कमांडिंग आफिसर आर गणेश, कर्नल दिवाकर टी एवं वरिष्ठ रिकार्ड अफसर मेजर राजेश के. को नोटिस जारी करने का आदेश दिया। प्रकरण यह था कि नायक विजय कुमार को 21 और 22 सितम्बर 2016 को सजा सुनाई गई थी जिसे दिल्ली उच्च-न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद 6 सितम्बर 2018 को जनरल आफिसर कमांडिंग ने सजा को निरस्त करते हुए 28 मार्च 2015 से प्रमोशन दिए जाने का आदेश करते हुए दो दिन के अन्दर प्रमोशन देकर सूचना देने को कहा लेकिन विपक्षियों ने अपने अधिकारी का ही आदेश नहीं माना।
चार महीने का समय गुजर जाने के बावजूद सेना के अधिकारी प्रमोशन देने को तैयार नहीं थे। विजय कुमार के अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय ने अदालत को बताया कि सेना में अनुशासन ही उसकी रीढ़ है तो इसका मतलब यह नहीं होता कि सैनिकों के मूलभूत अधिकार का हरण कर लिया जाय और उसे मनमानी का शिकार बनाया जाय। अधिवक्ता विजय कुमार पाण्डेय ने कहा कि भारत सरकार के अधिवक्ता आर के शुक्ला की दलील कि 18 सेना के अधिकारियों को पक्षकार नहीं बनाया जाना चाहिए था उचित प्रतीत नहीं होती क्योंकि सेना के अनुशासन की आड़ में सैनिक के खिलाफ जानबूझकर कानून और आदेश के बाहर जाने की इजाजत नहीं हैं इससे कानून के शासन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। विजय पाण्डेय ने कहा कि जो अफसर अपने से ऊपर के अधिकारियों के आदेश का पालन नहीं किया क्या उसके खिलाफ सेना के नियम 63 के तहत कार्यवाही नहीं की जानी चाहिए उन्होंने कहा यदि कार्यवाही न हुई तो अदालत जाकर कार्यवाही की मांग की जाएगी।
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