किर्गिस्तान की राजधानी बिश्केक में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक में भाग लेने के लिए भारत और पाकिस्तान समेत कई देशों राष्ट्राध्यक्ष पहुंचे हैं। इस बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत के साथ बातचीत की जरूरत बताई है। लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनकी बात को तवज्जो नहीं देते हुए साफ कर दिया है कि आतंकवाद और बातचीत दोनों साथ साथ नहीं चल सकते हैं।

दरअसल, इमरान खान ने गुरुवार को एक साक्षात्कार में कहा कि बातचीत के जरिए ही भारत और पाकिस्तान के मतभेद सुलझ सकते हैं। दोनों देशों को सैन्य ताकत की बदौलत मुद्दों के हल के बारे में नहीं सोचना चाहिए। कश्मीर का राग अलापते हुए इमरान खान ने कहा कि उनके देश का भारत के साथ रिश्ता संभवत: सबसे निचले स्तर पर है। ऐसे में कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए नई दिल्ली और इस्लामाबाद को बातचीत की मेज पर आना चाहिए।
बिश्केक रवाना होने से पहले रूसी समाचार एजेंसी स्पुतनिक को दिए गए साक्षात्कार में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा कि एससीओ शिखर सम्मेलन ने उन्हें भारतीय नेतृत्व से बातचीत करने का मौका दिया है। इससे दोनों पड़ोसी देशों के बीच संबंध में सुधार हो सकेगा। पाकिस्तान किसी भी प्रकार की मध्यस्थता के लिए तैयार है और अपने सभी पड़ोसी देशों, खास तौर से भारत के साथ शांति चाहता है।
इमरान खान ने कहा कि तीन छोटे युद्धों ने दोनों देशों को नुकसान पहुंचाया है और अब गरीबी के भयानक जाल में फंसे हैं। इससे पहले इमरान पीएम मोदी को कश्मीर सहित सभी मुद्दों पर द्विपक्षीय वार्ता के लिए दो बार पत्र भी लिख चुके हैं। लेकिन भारत ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री को कोई तवज्जो नहीं दी है। बता दें कि पुलवामा आतंकी हमले के बाद दोनों देशों के रिश्तों में और कड़वाहट आ गई थी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज ईरान के राष्ट्रपति (Iran President) हसन रूहानी (Hassan Rouhani) के साथ बैठक करेंगे। उनके कजाखस्तान के राष्ट्रपति कासिम जोमर्ट तोकायेव से मुलाकात का भी कार्यक्रम है। लेकिन आज भी वह पाकिस्तानी प्रधानमंत्री से नहीं मिलेंगे। भारतीय विदेश मंत्रालय ने पिछले हफ्ते ही कहा था कि एससीओ शिखर सम्मेलन से इतर मोदी व उनके पाकिस्तानी समकक्ष इमरान के बीच किसी द्विपक्षीय वार्ता की योजना नहीं है।
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