भारतीय जनता पार्टी की रणनीति के आगे फ़िलहाल सब फेल है. इस हेतु विपक्ष को सिर्फ एक ही रास्ता सूझ रहा है और वो है महागठबंधन. मगर ये जितना दिखता है उतना आसान नहीं है. जहा विपक्ष को अभी यही तय करना है कि शुरुआत कहा से करना है वही बीजेपी की रणनीति तैयार है और उस पर काम भी शुरू कर दिया गया. कई तरह के केम्पेन के बीच अब ‘मिशन स्वर्णिम अष्टभुज’ को लेकर आ रही है बीजेपी. जीत के लिए BJP ने कुछ खास कदम उठाये है –
कश्मीर मुद्दे को समय पर भुनाया और उसकी मार्केटिंग करने में अब बीजेपी पूरी शिद्द्दत से जुटी है . आतंकवाद और पाकिस्तान के खिलाफ सेना को खुली छूट का नारा भी इसका अहम पहलु है. यूपी चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी ने गन्ना किसानों को 15 दिन में भुगतान का वादा किया था मगर किसान उसे उसी समय निभाए जाने वाले वादों में गिन बैठे थे मगर वो वादा 2019 के थोड़े पहले फिर से पूरा करने के लिए या दोहराये जाने के लिए किया गया था. शुक्रवार को ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में यूपी, उत्तराखण्ड, पंजाब, कर्नाटक और महाराष्ट्र के गन्ना किसानों से मुलाकात की है जिसका फिर लम्बे समय तक असर रहेगा
प्रधानमंत्री ने हर भाषण में फसल के लागत मूल्य से किसानों को डेढ़ गुना मूल्य देने का वादा दोहरा रहे है. संपर्क फॉर समर्थन का फंडा भी कमजोर रणनीति का हिंसा कतई नहीं है. रूठो को मनाए की कवायद भी जारी है. राम मंदिर मुद्दा भी फिर से छेड़ ही दिया गया है जो हर काल खंड में तुरुप के इक्के के रूप में रहा है और पता नहीं कब तक रहेगा. हिन्दू कार्ड को बीजेपी कभी नहीं भूल सकती. ऊपर से लेकर निचे तक के हर नेता को मुद्दे रटा दिए गए है और लम्बी चौड़ी फ़ौज अपने काम में जुट गई है सबसे बड़ी बाद जिम्मेदारी और विजस साफ है. कुल मिलकर बीजेपी तैयार है ज पहले से ही मजबूत है वही कमजोर विपक्ष अभी भी बगले झांक रहा है.
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