ट्रंप या अमेरिका का जिक्र किए बिना उन्होंने कहा कि कुछ देशों के संरक्षणवादी और एकतरफा उपायों से नियम आधारित बहुपक्षीय व्यापार व्यवस्था को बुरी तरह से नुकसान पहुंच रहा है। यह वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिये एक गंभीर खतरा है। खुद को अलग रखने की रणनीति सारे रास्ते बंद कर देगी और सभी के प्रतिनिधित्व वाली खुली अर्थव्यवस्था सही रास्ते पर आगे ले जाएगी।
एक आर्थिक मंच के इतर युवा राजनयिकों को संबोधित करते रूस के विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव ने कहा कि अधिकतर मामलों में संयुक्त राष्ट्र बातचीत का रास्ता नहीं अपनाना चाहता है। पहले वे प्रतिबंध की घोषणा करते हैं फिर और अधिक प्रतिबंध लगाते तब कहीं जाकर वे बातचीत का रास्ता अपनाते हैं। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसी नीतियां कभी भी भविष्य के लिए सफल नहीं हो सकती हैं। उन्होंने कहा कि वह केवल रूस के साथ अमेरिका के संबंधों का उल्लेख नहीं कर रहे हैं बल्कि अमेरिका का यही रुख उत्तर कोरिया, यूरोपीय संघ और चीन के साथ भी देखा जा सकता है।
50 अरब डॉलर के उत्पादों पर अमेरिकी शुल्क के जवाब में चीन ने भी जवाबी शुल्क लगाया है। वहीं हाल ही में अमेरिका ने रूस पर प्रतिबंध तब और सख्त कर दिए जब अमेरिकी चुनावों में रूसी दखल और पूर्व रूसी जासूस सर्गेई स्क्रिपल का मुद्दा सामने आया। दोनों ही देशों के साथ अमेरिका के रिश्ते सबसे खराब स्थिति में हैं।
परमाणु समझौते पर अनिश्चितताओं के बीच अपने कच्चे तेल और वित्तीय लेन-देन के लिए ईरान, चीन को वैकल्पिक बाजार के रूप में देख रहा है। व्यापारियों को इस सौदे के लिए प्रोत्साहित करने के लिए उसने अपने बाजार को चीनी उत्पादों से भर दिया है। हालांकि इसका यह मतलब नहीं है कि चीन, ईरान को बिना किसी कारण सुरक्षित पनाहगाह उपलब्ध करा देगा। विशेषज्ञों ने चिंता जताई है कि चीन, ईरान का फायदा उठा सकता है।
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