दीव : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खेलो इंडिया बीच गेम्स के पहले संस्करण के उद्घाटन पर एक वीडियो संदेश में खेलों की परिवर्तनकारी शक्ति की बात की और कहा कि यह आयोजन भारत के खेल इतिहास में एक मील का पत्थर साबित होगा। नगालैंड की महिला सेपक टकरॉ टीम की कोच पुलेनो नेइखा पूरी तरह से पीएम मोदी की इस सोच से सहमत हैं।
पुलेनो के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में नगालैंड में खेलों का प्रभाव साफ दिखाई देने लगा है और भारत सरकार की यह अनूठी पहल राज्य की लड़कियों के लिए नए अवसरों के द्वार खोलने जा रही है।
सेपक टकरॉ नगालैंड का सबसे लोकप्रिय खेल है। इसकी शुरुआत 1995 में शारीरिक शिक्षा अध्यापक होल्से खारियो द्वारा एक मनोरंजन गतिविधि के रूप में की गई थी, जिसे भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) ने तकनीकी सहायता प्रदान की थी। तब से यह खेल राज्य में लगातार विकसित हुआ है और अब बड़ी संख्या में लड़के और लड़कियां इसमें पंजीकृत हैं।
वर्ष 2004 से राज्य सरकार ने दीमापुर में सेपक टकरॉ के लिए विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था की। पुलेनो, जो खुद एक राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ी और 2018 एशियन गेम्स में भारतीय टीम की कोच रह चुकी हैं, वर्तमान में इसी अकादमी में लड़कियों को प्रशिक्षित कर रही हैं। उनकी टीम की छह लड़कियां वर्तमान में नगालैंड पुलिस में कार्यरत हैं, जिनमें से तीन को सेपक टकरॉ में उपलब्धियों के कारण नौकरी मिली है।
पुलेनो ने साई मीडिया से कहा, “हमारी लड़कियों ने हर स्तर पर पदक जीते हैं। हमने खेलो इंडिया बीच गेम्स के पहले संस्करण में कांस्य पदक जीता। इससे पहले गोवा नेशनल गेम्स और इस साल जनवरी में सीनियर नेशनल्स में भी पदक जीते। इसके अलावा हमारे लड़के और लड़कियां बिहार में आयोजित खेलो इंडिया यूथ गेम्स में कई पदक जीत चुके हैं।” उन्होंने कहा,“हमारे खिलाड़ी हर खेलो इंडिया आयोजन में लगातार पदक ला रहे हैं। अब जब भारत सरकार ने बीच गेम्स शुरू किए हैं, तो मुझे लगता है कि यह हमारे बच्चों के लिए नए अवसरों का द्वार खोलेगा।”
पुलेनो ने साझा किया कि नागालैंड में सेपक टकरॉ को एक स्वीकृत खेल के रूप में व्यापक पहचान मिली है और राज्य सरकार इसे बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठा रही है। उन्होंने कहा,“गोवा नेशनल गेम्स और सीनियर नेशनल्स में पदक जीतने के बाद सरकार ने खिलाड़ियों को नकद पुरस्कार भी दिए। यह खेल लगातार खेलो इंडिया मंच पर शामिल हो रहा है और अब बीच गेम्स के पहले संस्करण में इसकी भागीदारी यह दर्शाती है कि यह देशभर में लोकप्रिय हो रहा है। इससे खिलाड़ियों को भविष्य में बड़ा लाभ मिलेगा।”
दीव में नगालैंड दल के प्रमुख और दीमापुर के खेल निदेशक केटोसे थियोसिकोसे ने बताया कि सेपक टकरॉ के लिए ग्रामीण प्रतिभा खोज कार्यक्रम चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा, “हम ग्रामीण क्षेत्रों में कोचिंग कैंप लगाते हैं और हमारे ज्यादातर खिलाड़ी वहीं से आते हैं। दीव में खेल रहीं अधिकांश लड़कियां ग्रामीण पृष्ठभूमि से हैं। हम इन्हें 10 से 14 वर्ष की उम्र में अकादमी में शामिल करते हैं, जहां ये वर्षों तक अभ्यास करती हैं। बच्चों को खुले मैदानों में प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे वे रेत पर खेलने के लिए बेहतर तरीके से अनुकूल हो जाते हैं।”
थियोसिकोसे ने कहा, “नगा लड़कियां बहुत समर्पित और अनुशासित होती हैं। पहाड़ी क्षेत्र से आने के कारण उनमें सेपक टकरॉ खेलने की प्राकृतिक क्षमता पहले से होती है।”
खेलो इंडिया बीच गेम्स के रूप में भारत सरकार की इस नई पहल ने न केवल नगालैंड जैसे पूर्वोत्तर राज्यों को राष्ट्रीय मंच दिया है, बल्कि खासकर सेपक टकरॉ जैसी कम लोकप्रिय खेल विधाओं को राष्ट्रीय और भविष्य में अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने की दिशा में एक मजबूत कदम साबित हो रहा है। नगा लड़कियों की मेहनत और कोचों का समर्पण इस खेल के उज्जवल भविष्य की गारंटी देता है।