छठ पर्व पर महिलाएं आखिर क्यों नाक से लेकर मांग तक भरती है सिंदूर

छठ  पूजा सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित चार दिनों का आध्यात्मिक त्योहार है. इस दौरान भक्त सूर्य की उपासना करते हैं जिसमें डूबते और उगसे सूरज को अर्घ्य दिया जाता है. यह त्योहार कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है. जो सुख-समृद्धि और संतान की दीर्घायु के लिए मनाया जाता है.

छठ महापर्व दुनिया का एक मात्र ऐसा त्योहार है जिसमे डूबते सूर्य की भी पूजा की जाती है. छठ पर्व में आपने देखा होगा कि सुहागिन महिलाएं नाक तक सिंदूर लगाती है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि सुहागिन महिलाएं नाक तक सिंदूर क्यों लगाती है? तो चलिए जानते हैं छठ पर्व पर नाक से लेकर मांग तक सिंदूर लगाने के पीछे का धार्मिक महत्व के बारे में.

क्यों नाक से मांग तक लगाया जाता है सिंदूर?

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महिलाओं का नाक से मांग तक सिंदूर लगाने के पीछे एक कारण है यह है कि सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लंबी आयु के लिए मांग से लेकर नाक तक सिंदूर लगाती है.  मान्यता है कि जो भी महिलाएं ऐसा करती है उनकी पति का आयु लंबी होती है और वो ज्यादा दिन तक जीवित रहते हैं. सिंदूर को सुहाग का प्रतीक माना जाता है और छठ पूजा में इसे मांग से नाक तक भरने से सुहाग की रक्षा होती है और संतान में वृद्धि होती है.

छठ पूजा में नाक से मांग तक सिंदूर लगाना सुहाग की रक्षा और पति की लंबी आयु के साथ-साथ परिवार में सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. यह मान्यता है कि जितना लंबा सिंदूर होगा पति की उम्र उतनी ही लंबी होगी और घर-परिवार में खुशहाली बनी रहेगी. यह सुहाग और सम्मान का भी प्रतीक माना जाता है.

हिंदू धर्म में सिंदूर की मान्यता

हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए मांग में सिंदूर भरना सुहागन की निशानी है.  कहते हैं कि सुहागिने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाल जीवन  की कामना से मांग में सिंदूर भरती है. यह भी मान्यता है कि मांग में सिंदूर जितना लंबा होगा पति की उम्र भी उसी तरह लंबी होगी.

छठ पूजा का महत्व

छठ पूजा का खास महत्व है. संतान और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सूर्य भगवान की पूजा की जाती है. महिलाएं निर्जला व्रत रखती है और सिंदूर लगाकर अपने पति के प्रति प्रेम और सम्मान भी जाहिर करती हैं.

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