अयोध्या : श्रीरामकथा के अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त संत मोरारी बापू ने बड़ा भक्तमाल की बगिया में चल रही मानस गणिका की कथा के तीसरे दिन कहा कि यह कथा संतों की ही कृपा से अयोध्या में हाे रही है। जिस प्रकार गंगा-सरयू जैसी पवित्र नदियाें में स्नान करने से मनुष्य का उद्धार हाे जाता है। ठीक उसी प्रकार भगवान की कथा भी गंगा-सरयू के समान है, जिसका पान करने से जीव का हमेशा-हमेशा के लिए कल्याण हाे जाता है। भगवान की कथा भक्ति है। इसका सहारा लेने से व्यक्ति भवसागर काे पार कर जाता है। उन्हाेंने कहाकि हमारे समाज में गमले के अन्दर जाे तुलसी है उसकी कुछ ताे सिंचाई कराे। क्योंकि आज के समाज में इसकी बहुत ही जरूरत है। तभी इस समाज में तिरस्कृत और अपमानित समाज के लाेगाें का उद्धार हाे सकेगा।
यह गणिकाएं अयाेध्या में कथा के माध्यम से प्रायश्चित करनी आयी हैं। इनकाे नफरत की नजर से नहीं बल्कि मानवता की नजराें से देखाे। इनके प्रति अपने हृदय में करूणा लाओ। जब मनुष्य के अन्दर दासत्व का भाव आ जाता है। ताे उसे पूरा अधिकार स्वयं प्राप्त हाेने लगता है। माेरारी बापू ने कहाकि वैसे ताे मैं कई बार अयाेध्या आया हूं। लेकिन इस बार मुझे अयाेध्या में नई चमक दिखी। मेरा अखण्ड विश्वास हनुमान जी के प्रति है। विश्वास ही महादेव हैं और शिव ही विश्वास। यह कथा पूजा है प्रायश्चित है। इसके माध्यम से मैं गणिकाओं के कल्याण लिए एक बड़ी धनराशि इकट्ठा कर रहा हूं, जिससे इनके लिए राेजगारी की व्यवस्था हाे सके। इनके परिवार में यदि काेई बीमार हाे। ताे इस धनराशि से उसके इलाज की तत्काल व्यवस्था हाेगी। यहां तक कि इन बहन-बेटियाें के बच्चों काे इससे अच्छी शिक्षा देने का प्रयास किया जायेगा। गणिकाओं के कल्याण के लिए सभी लाेग आगे आकर सहयोग करें।
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