मंदिर मुद्दे पर फैसला आने से पूर्व माहौल बिगाड़ने की साजिश
लखनऊ : हिन्दू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी की हत्या एक गहरी साजिश का हिस्सा है। अभी इस मामले के परत-दर-परत खुलासा होने में समय लग सकता है। अब पुलिस व खुफिया एजेंसियों का भी मानना है कि इस कांड का खुलासा जितना आसान माना जा रहा था, उतना है नहीं। यह केस अयोध्या में राम मंदिर विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला से पहले माहौल बिगाड़ने की साजिश का भी हिस्सा हो सकता है। इसलिए खुफिया एजेंसियों के भी कान खड़े हो गये हैं। भविष्य में ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न होने देने के लिए सोमवार की रात पूरे प्रदेश में पुलिस ने होटलों, धर्मशालाओं, लाज और ठहरने की जगहों पर तलाशी अभियान चलाकर सतर्कता बढ़ा दी है।
इस हत्याकांड के तार कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, नेपाल के साथ ही इन राज्यों के कई जिलों से जुड़ते हुए दिख रहे हैं। इससे अनुमान लगाया जा रहा है कि अब तक के आतंकवादी संगठनों से इतर कोई नया दहशतगर्दी संगठन तैयार हो चुका है। यह भी संभावना जताई जा रही है कि यह संगठन एक-दो दिनों में तो तैयार हुआ नहीं होगा। यह बहुत दिनों से माड्यूल के रूप में काम कर रहा होगा। यह भी संभावना जताई जा रही है कि इस संगठन को किसी पुराने संगठन का वरदहस्त हासिल हो।
सभी पहलुओं को देखते हुए इस मामले की किसी केंद्रीय एजेंसी से पूरे मामले की जांच कराये जाने की संभावना बढ़ती जा रही है। सोमवार को डीजीपी ओमप्रकाश सिंह ने भी कहा कि किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। गुजरात एटीएस ने अक्टूबर 2017 में आतंकी संगठन आईएसआईएस के संदिग्धों को गिरफ्तार किया था। उनसे पूछताछ में ही आतंकियों द्वारा कमलेश की हत्या की साजिश की बात सामने आई थी।
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