लखनऊ यूनिवर्सिटी में CAA को पाठ्यक्रम में शामिल करने का प्रस्ताव, मायावती ने कहा-सत्ता में आईं तो वापस लेंगी

नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर देश में मचे घमासान के बीच लखनऊ विश्वविद्यालय (LU) के इस कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करने के प्रस्ताव को लेकर नई बहस छिड़ गई है। संसद से ही इस कानून का विरोध कर रहीं बहुजन समाज पार्टी (BSP) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती इसके पक्ष में नहीं है। उन्होंने कहा है कि बसपा इसका सख्त विरोध करती है और यूपी में सत्ता में आने पर इसे पाठ्यक्रम से जरूर वापस लेंगी।

दरअसल, एलयू में कोर्स अपडेट किया जा रहा है। इसी क्रम में यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस विभाग की ओर से सीएए को भी कोर्स में शामिल किए जाने का प्रस्ताव रखा गया है। विभाग का तर्क है कि चूंकि सीएए अब एक कानून का रूप ले चुका है, इसी आधार पर यह पहल की गई है। कश्मीर में अनुच्छेद 370 और सीएए जैसे हालिया कानूनी बदलाव हुए है, उस दृष्टि से यह आवश्यक भी हो जाता है। हालांकि इस पूरे विषय पर कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय का कहना है कि अभी विभाग की ओर से सिर्फ प्रस्ताव रखा गया है। किसी विषय को पाठ्यक्रम में शामिल किये जाने के पहले उसे बोर्ड मीटिंग, कार्यपरिषद से गुजरना पड़ता है। इसमें लंबा वक्त लगता है।

बसपा सुप्रीमो मायावती ने जताया विरोध

बसपा सुप्रीमो मायावती ने लखनऊ विश्वविद्यालय की इस कवायद का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि है कि बसपा सरकार सत्ता में आई तो इसे पाठ्यक्रम से वापस ले लिया जाएगा। शुक्रवार को उन्होंने ट्वीट कर कहा है कि सीएए पर बहस आदि तो ठीक है, लेकिन कोर्ट में इस पर सुनवाई जारी रहने के बावजूद लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा इस अतिविवादित व विभाजनकारी नागरिकता कानून को पाठ्यक्रम में शामिल करना पूरी तरह से गलत व अनुचित है। बीएसपी इसका सख्त विरोध करती है और यूपी में सत्ता में आने पर इसे अवश्य वापस ले लेंगी।’

देश में सबसे बड़ा सम-सामयिक विषय

लखनऊ यूनिवर्सिटी के पॉलिटिकल साइंस विभाग की ओर से सीएए पढ़ाए जाने को लेकर प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीति शास्त्र की विभागाध्यक्ष शशि शुक्ला ने बताया कि वह जल्द ही इस पाठ्यक्रम को अमल में लाएंगी। उन्होंने कहा कि सीएए इस समय देश में सबसे बड़ा सम-सामयिक और महत्वपूर्ण विषय है, इसलिए लोगों को जागरूक करना जरूरी है। इसके लिए सबसे बेहतर विकल्प स्टूडेंट्स ही हैं। कानून में क्या-क्या संशोधन हुए हैं इसे बताना जरूरी है।

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